पूर्वी यूपी की 100 से अधिक विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखने वाले राजभर समुदाय का यूपी चुनाव में काफी अहम रोल माना जाता है। चुनाव नजदीक देख तमाम दलों की कोशिश है कि राजभर समुदाय के प्रभावी नेता उनके साथ रहें। वहीं 2017 में भाजपा के साथ रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने 2022 यूपी चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है।
ऐसे में अब भाजपा भी अपनी रणनीति में ओपी राजभर का नाम लिए बिना उनपर निशाना साध रही है। बता दें कि 31 अक्टूबर रविवार को सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा के ओबीसी सम्मेलन में हिस्सा लिया था। इस दौरान उन्होंने ओपी राजभर का नाम ना लेते हुए कहा, “जब मैंने बहराइच में महाराज सुहेलदेव का स्मारक बनाने का प्रस्ताव रखा तो मेरे कैबिनेट के दो राजभर मंत्रियों में से अनिल राजभर ने तो समर्थन दिया लेकिन दूसरे ने इसका विरोध किया था।”
योगी ने कहा, “अकेले अनिल राजभर स्मारक को लेकर मेहनत कर रहे थे लेकिन वोट बैंक का मोह रखने वाले लोग स्मारक के विरोध में थे।” उन्होंने कहा, “आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से बहराइच में महाराज सुहेलदेव का भव्य स्मारक बन रहा है।”
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में ओपी राजभर भाजपा के साथ थे। सरकार बनने के बाद उन्हें योगी कैबिनेट में जगह भी मिली थी। लेकिन भाजपा के साथ मतभेदों के चलते उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। वहीं 2022 यूपी चुनाव को देखते हुए ओपी राजभर ने सपा के साथ गठबंधन किया है।
गौरतलब है कि यूपी में राजभर समुदाय की आबादी लगभग 3 फीसदी तक है। पूरे राज्य में यह आबादी भले ही कम अनुपात में हो लेकिन पूर्वी यूपी में इस समुदाय का राजनीतिक प्रभाव अच्छा खासा है।
दरअसल उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल के 18 जिलों की 90 सीटों में से लगभग 25-30 सीटें ऐसी हैं जहां राजभर वोटरों की संख्या अधिक है। जिनमें से कुछ में तो इनकी संख्या 1 लाख तक है।