26 विपक्षी दल जो I.N.D.I.A गठबंधन का हिस्सा हैं, वे एक साथ काम करने के तौर-तरीकों पर विचार कर रहे हैं। इस गठबंधन में क्षेत्रीय दलों ने कदम उठाना शुरू कर दिया है ताकि वे 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले सीटों की अधिक मांग कर सकें। समाजवादी पार्टी (सपा) ने घोषणा की है कि वह इस साल के अंत में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है, जिसका उद्देश्य लोकसभा चुनावों के लिए उत्तर प्रदेश में कड़ी सीट बार्गेनिंग करना है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र के सिद्दी जिले में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित दो सीटों धौहानी और चितरंगी के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की। ये सीटें यूपी सीमा के करीब है। पार्टी ने धौहनी से विश्वनाथ सिंह गौड़ मरकाम और चितरंगी से श्रवण कुमार सिंह गौड़ को मैदान में उतारा है।
पिछले बुधवार को पार्टी ने यूपी सीमा के पास स्थित बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल बेल्ट की मेहगांव, भांडेर (एससी), निवाड़ी और राजनगर सीटों से उम्मीदवारों की घोषणा की थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में इन छह सीटों में से कांग्रेस ने तीन पर जीत हासिल की और दो अन्य पर दूसरे स्थान पर रही। अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने पर विचार कर रही सपा इन निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस और भाजपा दोनों को चुनौती देगी।
मध्य प्रदेश में सपा के प्रदेश अध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने पार्टी के कांग्रेस के साथ गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना से इनकार किया है। उन्होंने कहा, “किसी भी राज्य में गठबंधन का निर्णय पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व लेता है। लेकिन अभी हमें मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए ऐसे गठबंधन की कोई संभावना नहीं दिख रही है। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अभी तक इस संबंध में अंतिम निर्णय नहीं लिया है।”
समाजवादी पार्टी का यह कदम ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह यूपी में घोसी विधानसभा उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेगी और एसपी उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया है। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने शनिवार को समर्थन का बयान जारी किया। सपा की रणनीति उत्तराखंड तक भी फैली हुई है, जहां उसने बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा किया है, जहां कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से है।
2018 में कांग्रेस ने बीजेपी को 792 वोटों से हराकर राजनगर सीट जीती थी। उस वक्त सपा प्रत्याशी को 23,783 वोट मिले थे। निवाड़ी में सपा दूसरे स्थान पर रही। अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी का यह कदम उनके हालिया प्रस्ताव के विपरीत है कि कांग्रेस को उन क्षेत्रों में भाजपा के खिलाफ अपने क्षेत्रीय सहयोगियों के उम्मीदवारों का समर्थन करना चाहिए जहां पार्टियां मजबूत हैं। मध्य प्रदेश में कांग्रेस गठबंधन की सबसे मजबूत पार्टी है और सपा की मामूली जनाधार है।
रामायण सिंह पटेल ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ”अखिलेश यादव जी ने हमें पूरे राज्य में चुनाव लड़ने के लिए कहा है। अन्य सीटों के लिए संभावित उम्मीदवारों के नाम हमारे शीर्ष नेतृत्व को भेज दिए गए हैं और जल्द ही हमारे उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की जाएगी। जहां तक गठबंधन का सवाल है, इसका गठन लोकसभा चुनावों के लिए किया गया है और यह विधानसभा चुनावों के लिए नहीं है। समाजवादी पार्टी अपनी पसंद की विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र है। अखिलेश यादव ने जुलाई में लखनऊ में पार्टी की एमपी इकाई को संबोधित किया था। बैठक में उन्होंने उम्मीद जताई कि पार्टी विधानसभा चुनाव में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज करेगी।”
उन मुद्दों के बारे में पूछे जाने पर, जिन्हें सपा मध्य प्रदेश चुनाव में उठाना चाहती है, रामायण पटेल ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने राज्य में जाति आधारित जनगणना का आह्वान किया है। इसके अलावा, बेरोजगार युवाओं के लिए 3,000 रुपये से अधिक का मासिक भत्ता है। उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए व्यवसाय ऋण के लिए सरकारी गारंटी और किसानों के लिए ऋण माफी उन मुद्दों में से एक होगी, जिन्हें पार्टी लोगों के बीच ले जाएगी।
मध्य प्रदेश में एसपी का सबसे अच्छा प्रदर्शन 2003 में था, जब उसके सात उम्मीदवार चुने गए थे। उस समय सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे। 2018 में एसपी ने बीजेपी को हराकर सिर्फ छतरपुर जिले की बिजावर सीट जीती थी। यहां कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही थी।
2013 में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी। 2008 में निवाड़ी में सपा की जीत हुई और मीरा दीपक यादव निर्वाचित हुईं थीं। मीरा दीपक इस बार भी सपा की कमान संभालेंगी। एमपी कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा, ”एमपी में एसपी का प्रभाव नगण्य है। कांग्रेस की सीधी लड़ाई बीजेपी से है। इंडिया गठबंधन 2024 के लिए बनाया गया है। अगर सपा विधानसभा चुनाव लड़ती है तो कांग्रेस को कोई आपत्ति नहीं है, जब तक कि वह भाजपा के साथ नहीं जा रही है।”
भाजपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बाद मध्य प्रदेश चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करने वाली सपा तीसरी पार्टी है। भाजपा ने 39 उम्मीदवारों की सूची जारी की है और बसपा ने सात उम्मीदवारों की सूची जारी की है।
हालांकि 2018 में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, लेकिन 230 सदस्यीय सदन में 114 सीटों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। बीजेपी ने 109 सीटें जीतीं थी। कांग्रेस ने एसपी, बीएसपी और निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन से कमल नाथ के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाई थी। लेकिन 15 महीने बाद सरकार गिर गई जब कांग्रेस विधायकों का एक वर्ग, जिनमें से अधिकांश केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादार थे, वे भाजपा में शामिल हो गए। मार्च 2020 में भाजपा सत्ता में लौटी और शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मुख्यमंत्री बने थे।