केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार लोगों के खान-पान पर किसी तरह की रोक लगाने की पक्षधर नहीं है। अंग्रेजी अखबार ‘द हिन्दू’ से बातचीत में उन्होंने कहा, “हम इस बात को भलि भांति इस हकीकत को समझते हैं कि हिन्दुस्तान में सांस्कृतिक विविधता है…आपने केरल हाईकोर्ट का आदेश जरूर पढ़ा होगा जिसमें कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय के नोटिफिकेशन पर टिप्पणी की है। लोग क्या खाना चाहते हैं, इस पर कोई रोक नहीं है। केरल हाईकोर्ट के पैसले के बाद अब इस मुद्दे पर कोई शक या संशय नहीं रह गया है।”
राजनाथ सिंह ने कहा कि हो सकता है कि लोगों को यह लगता हो कि मंत्रालय का नोटिफिकेशन बीफ खाने पर प्रतिबंध लगाता है लेकिन लोगों की यह गलतफहमी जल्द ही दूर हो जाएगी। उन्होंने कहा, “मुझे भरोसा है कि लोगों को यह बात जल्द ही समझ में आ जाएगी कि वे लोग जो समझ रहे हैं वह गलत है। हमारी पार्टी किसी को यह नहीं कहती है कि तुम क्या खाओ और क्या पहनो। अगर इसके बाद भी लोगों में गलतफहमी है तो लोगों को पर्यावरण मंत्रालय से संपर्क करना चाहिए। अगर उन्हें लगेगा कि उस नोटिफिकेशन में कुछ सुधार करना चाहिए तो वो लोग ऐसा करेंगे।”
केरल हाई कोर्ट ने भी मवेशियों को मारने के नरेंद्र मोदी सरकार के नए नियम पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। सरकार के फैसले को खारिज किए जाने को लेकर दायर की गई एक जनहित याचिका कोर्ट ने रद्द कर दी थी। हाई कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने केंद्र के नए नियम को गलत समझ लिया है।
गौरतलब है कि कल ही (गुरुवार को) केरल विधानसभा का एक दिवसीय विशेष अधिवेशन बुलाया गया था जिसमें वध के लिए पशुओं की खरीद-फरोख्त पर रोक संबंधी केंद्र सरकार की अधिसूचना पर चर्चा हुई और उसके खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया। मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने सत्र की शुरुआत करते हुए केंद्र की नई अधिसूचना के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। विजयन ने कहा, “नया कानून और कुछ नहीं, बल्कि लोग क्या खाना चाहते हैं, इससे जुड़े उनके अधिकारों का हनन है। नए कानून से हमारे राज्य के कृषि समाज और हमारे देश पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।”
बता दें कि 28 मई को केन्द्र की बीजेपी सरकार ने वध के लिए पशु मंडियों से जानवरों की खरीद और बिक्री पर रोक लगा दी थी। इस बावत केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की थी। केन्द्र के इस फैसले का उत्तर पूर्व के राज्यों समेत तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल में विरोध हो रहा है।