Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के राजनीतिक उथल-पुथल के बीच पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लेकर अहम बात कही है। एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मेरे विचार से उद्धव ठाकरे एक संत व्यक्ति हैं, उन्हें मुख्यमंत्री पद नहीं लेना चाहिए था। कोश्यारी ने कहा कि उद्धव सीएम बनने के लायक नहीं थे। उन्हें अपनी पार्टी चलानी चाहिए थी। कोश्यारी ने कहा कि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और कांग्रेस ने उद्धव को बलि का बकरा बना दिया। मुझे उद्धव ठाकरे के लिए खेद है।

क्यों स्वीकार नहीं की 12 विधान परिषद सदस्यों की सूची?

भगत सिंह कोश्यारी ने ठाकरे सरकार द्वारा उन्हें विधान परिषद के सदस्यों के रूप में नामित किए जाने के लिए भेजी गई 12 उम्मीदवारों की सूची को स्वीकार नहीं करने के अपने फैसले के बारे में बताते हुए कहा कि सीएम ठीकरे ने पांच पन्नों का एक पत्र लिख ऐसे मामले में क्या किया जाए और क्या ना किया जाए लिखकर भेजा। आखिर में तत्कालीन सीएम उद्धव ने यह भी कहा कि मुझे 15 दिन के भीतर या उससे पहले इस पर हस्ताक्षर कर देना चाहिए। मामला अदालत में भेजा गया। कोश्यारी ने कहा कि ऐसा कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है जहां सरकार राज्यपाल को शर्तें निर्धारित कर सके। आम तौर पर एक मुख्यमंत्री चार लाइन का पत्र लिखता है। आश्चर्य है कि सीएम का सलाहकार कौन था… लेकिन इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह थी कि उनके पास शरद पवार जैसे नेता थे जो नियमों के अच्छे जानकार थे।

ठाकरे ने मुझे विमान से उतारा-कोश्यारी

उद्धव ठाकरे द्वारा राज्यपाल को सरकारी विमान आवंटित नहीं करने के फैसले पर कोश्यारी ने कहा कि “ठाकरे ने मुझे विमान से उतार दिया… नियति ने उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से नीचे खींच लिया।” कोश्यारी ने कहा कि उन्होंने 2019 में देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को डिप्टी के रूप में शपथ दिलाकर कोई गलत काम नहीं किया। 23 नवंबर 2019 को भले ही शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के परिणाम अनिर्णायक होने के बाद सरकार बनाने के लिए सरकार बनाने का दावा करने के लिए एक साथ गठबंधन करने की कोशिश की लेकिन फडणवीस ने सीएम के रूप में और अजीत ने डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली।

कोश्यारी ने कहा कि एक रात पहले फडणवीस और अजीत पवार ने मुझे उन सदस्यों की सूची सौंपी जो उनका समर्थन कर रहे थे। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि उनके पास बहुमत है। मेरा मानना ​​था कि फडणवीस के पास बहुमत है। मैं कैसे गलती कर सकता हूं? आखिर अजीत पवार एनसीपी के वरिष्ठ और सक्षम नेता हैं। जब उन्होंने समर्थन का वादा किया तो मुझे उनकी बातों को गंभीरता से लेना पड़ा। इसके अलावा, बहुमत हमेशा राज्य विधानसभा के पटल पर साबित होता है। राज्यपाल या राष्ट्रपति के सामने इसे कभी सिद्ध नहीं किया जाता। मुझे नहीं लगता कि सुबह-सुबह शपथ ग्रहण के लिए फडणवीस को बुलाकर मैंने कुछ गलत किया।

हालांकि महा विकास अघाड़ी ने कहा कि वे सरकार बना रहे हैं, उनके नेताओं ने अंतिम समय तक समर्थन पत्र पेश नहीं किया। मैंने सख्ती से नियमों का पालन किया। समय से पहले अपने इस्तीफे पर उन्होंने कहा कि ‘मैंने राज्यपाल के रूप में तीन साल से अधिक समय पूरा कर लिया है। मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुझे सौंपी गई जिम्मेदारी को स्वीकार किया था। जब पीएम पिछले दिसंबर में नागपुर में थे, तो मैंने राज्यपाल के पद से इस्तीफा देने की इच्छा व्यक्त की, जिसे स्वीकार कर लिया गया।