शिवसेना पर एकनाथ शिंदे का कब्जा होने के बाद उद्धव ठाकरे की राजनीति पहले से बदली हुई दिखी। शनिवार को वो अपने वर्कर्स से रूबरू हुए तो कार की Sunroof पर दिखे। वो वर्कर्स का हौसला बढ़ा रहे थे। उनका मकसद साफ था कि लड़ाई अब लड़नी है और जीतनी भी। बाला साहेब को जो लोग करीब से जानते हैं उनका मानना है कि उद्धव ठाकरे का ताजा कदम दिखा रहा है कि वो पिता के नक्शे कदम पर बढ़ चुके हैं।

हालांकि उद्धव ने जब शिवसेना की कमान हाथ में संभाली तो उनका अंदाज पूरी तरह से अपने पिता से जुदा था। वो अलग तरह की राजनीति करने में यकीन रखते थे। उनके हाव भाव और तेवरों से ये बात दिखी भी कि वो हार्डलाइनर नहीं बनना चाहते। लेकिन पिछले कुछ समय में जो कुछ हुआ उसने उन्हें पूरी तरह से तब्दील कर दिया। शिवसेना हाथ से गई तो उद्धव को आभाष हुआ कि बाला साहेब की तरह तेवर नहीं अपनाए तो देर हो जाएगी।

साठ के दशक में दिखा था बाला साहेब का अनूठा अक्स

साठ के दशक में बाला साहेब जब शिवसेना की जड़ों को मजबूत करने में लगे थे तो उनके तेवर देखने लायक होते थे। तब उनके पास फिएट कार थी। बाला साहेब फिएट की छत से लोगों तक अपनी बात पहुंचाते थे। उनका अंदाज सबसे जुदा था। वो हर चीज हासिल करने में यकीन रखते थे। बाद के मौकों पर वो अंबेसडर कार की छत पर भी दिखे। शिवसेना के नेताओं के दिमाग में बाला साहेब का वो अक्स आज भी बरकरार है। यही वजह रही कि जब उद्धव ठाकरे कार की Sunroof पर दिखे तो कुछ ने वो तस्वीरें भी शेयर कीं जिनमें बाला साहेब कार की छत पर दिख रहे थे। गेटवे ऑफ इंडिया पर अंबेसडर कार की छत से स्पीच दे रहे बाला साहेब का अक्स आज भी लोगों के जहन में है।

जब पहली बार गए थे जेल के भीतर

7 फरवरी 1969 को बाला साहेब की उस स्पीच को लोग आज भी याद करते हैं जब तत्कालीन उप प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई मुंबई (तब बांबे) में थे और कर्नाटक महाराष्ट्र के मुद्दे पर बाला साहेब सरकार से गुत्थम गुत्था होने के लिए तैयार थे। माहिम में खुली जीप से दी गई स्पीच लोग आज तक नहीं भूले। उसके बाद हुए दंगों में बताते हैं कि 59 लोगों की जान गई। बाला साहेब पहली दफा जेल की सींखचों के पीछे भी गए। लेकिन वो वाकया उनके राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री के तौर पर देखा जाता है।

कार की छत से बाला साहेब की स्पीच शिवसेना के लिए बेहद खास है। यही वजह है कि 2022 में जब शिवाजी पार्क मैदान में उद्धव ठाकरे की दशहरा रैली को बीएमसी ने अनुमति देने से इनकार किया तो वहां कार की छत पर बैठे बाला साहेब की तस्वीरें भी मौजूद थीं। लेकिन फिलहाल ये देखना दिलचस्प होगा कि कार की छत से दी गई स्पीच क्या उद्धव ठाकरे को फिर से पहले की तरह से खड़ा कर पाएगी।