कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच विवाद सुलझने की जगह और उलझता जा रहा है। गणतंत्र दिवस पर लाल किले में हुई हिंसा के बाद पहले गाजीपुर और फिर सिंघु बॉर्डर पर भारी संख्या में पुलिसबल तैनात कर दिया गया। हालांकि, इस पर किसान नेता नाराज हैं। इसी बात पर शुक्रवार को एक टीवी डिबेट में बहस हुई। दरअसल, एंकर ने पूछा कि क्या आंसू सिर्फ एक तरफ के दिखने भी खतरनाक हैं? दिल्ली पुलिस के जवानों के आंसू किसी को क्यों नहीं दिख रहे? हालांकि, इस पर किसान नेता ने कहा कि किसान और जवान दोनों किसान के बेटे हैं और दोनों को लड़ाने की कोशिश की भर्त्सना की जानी चाहिए।

क्या था एंकर का सवाल?: न्यूज-18 पर एंकर अमिश देवगन ने अपने शो में पूछा- “शाहीन बाग होता है दिल्ली में दंगे होते हैं। किसानों की ट्रैक्टर रैली निकलती है, फिर दिल्ली में हिंसा का तांडव होता है। तो आखिर आंसू एक-तरफ के क्यों दिखते हैं। जवान तो हाथ जोड़कर खड़े थे। पौने चार सौ पुलिसवाले खुद ही घायल हो गए। पुलिसवाले खुद-ब-खुद पिट रहे थे? खुद ही खाई में कूद रहे थे? अगर हम अतार्किक भी हों तो एक सीमा तक तो हों।”

‘दंभ ठीक नहीं, तीन सौ से दो सीटों पर आ जाएंगे’: हालांकि, इस पर किसान नेता पुष्पेंद्र चौधरी ने कहा, “मैं खुद आपको राकेश टिकैत का वीडियो भेजूंगा, जिसमें वे लट्ठ लेकर आंदोलन में शामिल इधर-उधर हो रहे अपने ही लड़कों को पीट रहे हैं। यह दंभ सरकारों को ठीक नहीं है। आप दो सीटों से जीतकर 300 सीटों पर आए हैं। किसान को आतंकवादी और देशद्रोही बताना बंद करिए, वर्ना फिर 300 से दो सीटों पर आ जाएंगे।”

चौधरी ने आगे कहा, “भाजपा वालों का एक पैटर्न है। चाहे वह सीएए की हिंसा हुई है, या दिल्ली दंगे हुए हों। जेएनयू की हिंसा हो या लाल किले की हिंसा। सबमें आपके लोग नजर आते हैं। आप आंदोलनों को बदनाम करने का काम करते हैं। खालिस्तानी और पाकिस्तानी बताने का काम करते हैं। जब वह कामयाब नहीं होता तो अपने आदमी भेजकर हिंसा भड़काने का काम करते हैं। आपने लोनी के विधायक के साथ चार सौ लड़कों को भेजकर वहां भी हिंसा कराने की कोशिश की थी।”