देश में टीकाकरण की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार के हाथ में लेने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा पर कई लोगों ने सवाल उठाते हुए कहा है कि यह केंद्र की लापरवाही का सबूत है। उनका कहना है कि जो काम केंद्र सरकार काे आठ महीने पहले कर लेना चाहिए था, वह अब कर रही है। ऐसा विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के दबाव में किया गया है। कहा कि केंद्र सरकार अपनी गलती मानने के बजाए अब भी कह रही है कि राज्यों के नहीं संभाल पाने की वजह से केंद्र व्यवस्था को अपने हाथ में ले रही है।
टीवी चैनल न्यूज-24 पर एंकर मानक गुप्ता ने पूछा कि क्या यह केंद्र सरकार का मास्टर स्ट्रोक है। इस पर डिबेट में वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक आशुतोष ने कहा, “जिन लोगों के परिवार में किसी की मौत हुई है, उनसे पूछिए कि यह मास्टरस्ट्रोक है कि नहीं है। पीएम की घोषणा को मैंने ध्यान से सुनी है। जो काम सरकार को आठ महीने पहले कर देना चाहिए था, वह अब कर रही है। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप आठ महीने पहले 80 करोड़ डोजेज के आर्डर प्लेस कर दिए थे। हम जून के महीने में अभी सिर्फ यह तय कर पाए हैं कि केंद्र सरकार यह वैक्सीन खरीदेगी। अभी हमने आर्डर भी प्लेस नहीं किया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह जो टाइम लैग हुआ है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है। क्या इसमें लोगों की मौत नहीं हुई होंगी। क्या उन मौतों का आंकड़ा किसी के पास है।”
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद, प्रधानमंत्री ने घोषणा की केंद्र सरकार वैक्सीन खरीदेगी, ये काम 8 महीने पहले होना चाहिए था : @ashutosh83B @manakgupta #RashtraKiBaat#PMNarendraModi #ModiSpeech pic.twitter.com/aTyF8Jqirs
— News24 (@news24tvchannel) June 7, 2021
आशुतोष ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट तक को यह कहना पड़ा कि न तो आपके पास कोई पॉलिसी है और न ही कोई विजन है। यह सुप्रीम कोर्ट के शब्द हैं, मेरे नहीं है। वहां भी बार-बार सरकार की ओर से राज्य सरकारों पर जिम्मेदारी डालने की कोशिश की गई है।”
उन्होंने कहा, “आज भी प्रधानमंत्री ने अर्धसत्य बोला है। पीएम कह रहे हैं कि राज्य सरकारें नहीं कर पाईं, हकीकत यह है कि कंपनियां राज्य सरकारों से कह रही हैं कि हम आपसे डील नहीं करेंगे। आज भी विपक्ष पर, विरोधियों पर, राज्यों पर ही कोरोना क्राइसिस की जिम्मेदारी डाली गई।”
आशुतोष ने कहा कि यह सरकार की नाकामी है और अपनी नाकामी छिपाने के लिए वह अब ऐसा कह रही है। उन्होंने कहा कि जब राज्य सरकारों से वैक्सीन कंपनियां डील ही नहीं कर रही हैं तो वे कैसे टीकाकरण को सफलतापूर्वक कर सकती हैं।
