तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार से मांग की है कि साइनबोर्ड हिंदी और अंग्रेजी के अलावा स्थानीय भाषा में भी होनी चाहिए। स्थानीय भाषा में होने से लोगों को ज्यादा सुविधाजनक होगी। मंगलवार को राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा पार्टी के सुखेन्दु शेखर राय ने उठाया तो इस पर चेयरमैन वेंकैया नायडू ने भी सहमति जताई। उन्होंने कहा कि अक्सर साइनबोर्ड हिन्दी या अंग्रेजी भाषा में होते हैं, लेकिन इनके लिए मातृ भाषा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
बंगाली में बोलते हुए, रॉय ने लंदन ट्यूब में व्हाइटचैपल स्टेशन के लिए बंगाली साइनेज की ओर इशारा किया, जिसे इस क्षेत्र में बड़ी बंगाली आबादी को देखते हुए अब स्थापित किया गया है। रॉय ने कहा कि देश भर में केंद्रीय संस्थानों में केवल हिंदी और अंग्रेजी में साइनेज हैं। यह ठीक है, लेकिन स्थानीय भाषा में भी इसे स्थापित किया जाना चाहिए। नायडू ने इसे एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताया। रॉय के संक्षिप्त भाषण के काफी समय बाद तक भी कार्यवाही के दौरान कई बार स्थानीय भाषा में साइनेज की आवश्यकता को उन्होंने उठाया।
उन्होंने सदन में मौजूद मंत्रियों अर्जुन राम मेघवाल और सर्बानंद सोनोवाल को मामले का संज्ञान लेने और अपने सहयोगियों को सूचित करने को कहा। सभापति एम वेंकैया नायडू ने इसे एक अच्छा सुझाव बताते हुए संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन से कहा कि इस बारे में संबद्ध मंत्रालय से बात की जानी चाहिए। मुरलीधरन ने कहा कि आसन की ओर से जो भी आदेश दिए जाते हैं, वह संबद्ध मंत्रालय तक पहुंचा दिए जाते हैं।
उपराष्ट्रपति और चेयरमैन नायडू ने कहा, “यह (मुद्दा) कोलकाता तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हर राज्य के लिए है। पहले संकेत मातृभाषा में होने चाहिए, फिर हिंदी और अंग्रेजी में, अन्यथा स्थानीय लोग नहीं समझेंगे।” कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सहयोगियों से अपील की कि “इन भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा कहना बंद करें।” उन्होंने कहा कि ये राष्ट्रीय भाषाएं हैं।
स्थानीय भाषा और हिंदी-अंग्रेजी को लेकर लंबे समय से विवाद है। दूसरी तरफ दक्षिण के राज्य अपनी क्षेत्रीय भाषा को प्रमुखता देना चाहते हैं, जबकि उत्तर भारतीय हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में कायम करना चाहते हैं।