तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक (चीफ व्हिप) कल्याण बनर्जी का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। इसके बाद उन्होंने अपने भतीजे और पार्टी के बड़े नेता अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में संसद के लिए नई टीम बनाई है। ममता बनर्जी का एक पुराने नेता को इतनी आसानी से जाने देना थोड़ा हैरान करने वाला जरूर है, लेकिन इसकी वजह समझी जा सकती है। पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी करनी है और संसद में उसे एक मजबूत टीम की जरूरत है। खासकर तब, जब विपक्ष केंद्र की भाजपा सरकार को मतदाता सूची की गड़बड़ियों पर घेरने की तैयारी में है।

कल्याण बनर्जी और महुआ मोइत्रा के बीच विवाद पार्टी के लिए बड़ा संकट

इस बीच, कल्याण बनर्जी और सांसद महुआ मोइत्रा के बीच विवाद पार्टी के लिए परेशानी का कारण बन गया था। माना जा रहा है कि कल्याण इस विवाद को संभाल नहीं पाए, और इसी वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ा। सोमवार को हुई पार्टी बैठक में ममता बनर्जी ने दो-तीन सांसदों पर पार्टी की छवि खराब करने का आरोप लगाया। सबसे कड़ा रुख उन्होंने कल्याण बनर्जी के खिलाफ अपनाया और कहा कि सीनियर नेताओं की गैरमौजूदगी में वो सांसदों के बीच सही तालमेल नहीं बिठा सके।

यह बात कल्याण बनर्जी को अच्छी नहीं लगी और उन्होंने मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे दिया। बाद में उन्होंने एक टीवी चैनल पर ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए कहा कि जब ज़्यादातर सांसद संसद में मौजूद नहीं रहते, तो वे ज़्यादा कुछ कर भी नहीं सकते। उन्होंने सवाल किया – “क्या ममता बनर्जी को संसद के कामकाज की जानकारी है?”

टीएमसी ने उनके बयान को नज़रअंदाज़ करने का फैसला किया। अभिषेक बनर्जी ने उनसे अपील की कि इंडिया गठबंधन की डिनर मीटिंग (7 अगस्त) तक वे चुप रहें। लेकिन जब कल्याण ने अगले ही दिन महुआ मोइत्रा पर फिर से हमला बोला, तो ममता और अभिषेक को उनका इस्तीफा मंजूर करना पड़ा। एक वरिष्ठ टीएमसी नेता ने बताया कि ममता नहीं चाहती थीं कि कल्याण इस्तीफा दें, क्योंकि वे उनके सबसे पुराने साथियों में से हैं। लेकिन जब अभिषेक की समझाइश के बाद भी कल्याण ने बयानबाज़ी जारी रखी, तो उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा।

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सूत्रों के मुताबिक, ममता चाहती थीं कि कल्याण और महुआ के बीच विवाद खत्म हो ताकि संसद में पार्टी ठीक से काम कर सके। डिनर मीटिंग में मतदाता सूची की गड़बड़ियों पर विपक्ष की रणनीति बनने वाली है, और ममता चाहती थीं कि टीएमसी पूरी तरह राजनीतिक मुद्दों पर ध्यान दे।

अब जब सुदीप बंद्योपाध्याय और कल्याण बनर्जी बाहर हो चुके हैं और सौगत रॉय बीमार हैं, तो अब यह देखना होगा कि टीएमसी के नए चेहरे संसद में कैसे जिम्मेदारी निभाते हैं। इस बदलाव के बाद, अब अभिषेक बनर्जी की टीम संसद में अनुशासन बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाएगी। ममता और अभिषेक की करीबी काकोली घोष दस्तीदार को मुख्य सचेतक बनाया गया है और शताब्दी रॉय को उपनेता की जिम्मेदारी दी गई है।

इसका असर भी दिखने लगा है। बुधवार को टीएमसी पदाधिकारी ने कहा, “लंबे समय बाद सांसदों को संसद में बंगाल के मुद्दे उठाते देखा गया।” वो बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों के नाम पर भाजपा शासित राज्यों में बंगालियों पर हो रहे अत्याचार के मुद्दे की बात कर रहे थे। अब बड़ा सवाल यही है – क्या यह बदलाव टीएमसी के लिए काफी होगा? क्या पार्टी के अंदर का तनाव खत्म होगा? क्या टीएमसी अब विपक्ष के साथ मिलकर भाजपा को संसद में घेर सकेगी?

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