बंगाल चुनाव को लेकर BJPऔर TMC के बीच की तल्खी लगातार बढ़ती जा रही है। दोनों एक दूसरे पर हमले का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। ताजा घटना में राणाघट से बीजेपी सांसद जगन्नाथ सरकार की गाड़ी हादसे का शिकार हो गई, लेकिन उन्होंने इसे अपनी हत्या की कोशिश बताया है और इसका आरोप टीएमसी पर जड़ा है। फिलहाल पुलिस इस मामले में कुछ भी कहने से बच रही है।
घटना कल रात उत्तर 24 परगना जिले में हुई। सरकार दिल्ली से वापस बंगाल लौट रहे थे। इसी दौरान बारासात इलाके के पास एक ट्रक ने सांसद की कार में टक्कर मार दी। सरकार के ड्राइवर की सूझ बूझ से एक बड़ा हादसा होने से बच गया। उस दौरान जाम की वजह से गाड़ी सड़क के एक किनारे पर खड़ी थी और सुरक्षाकर्मी जाम खुलवाने के लिए गाड़ी से बाहर चले गए थे। इसी बीच एक तेज रफ़्तार ट्रक ने गाड़ी में टक्कर मार दी।
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बंगाल में जगन्नाथ सराकर पर हमला. क्या BJP सांसद जगन्नाथ सराकर को जान से मारने की कोशिश की गई ?#Bengal #Elections #Politics #Violence #BJP #TMC #AttempToMurder @PrashantChurhe @SinghkolAashika pic.twitter.com/DiVb3OEcqT— News18 India (@News18India) February 14, 2021
सरकार का कहना है कि उनके ड्राइवर ने ऐन वक्त पर कार को मोड़ दिया। उन्होंने कहा कि ट्रक ड्राइवर के पास ना ही लाइसेंस मिला ना ही गाड़ी के कागज और ना ही पहचान पत्र। पूछताछ में ड्राइवर ने अपने आपको मुर्शिदाबाद का बताया है। सरकार का आरोप है कि उन पर ये जान लेवा हमला है। ये हमला TMC के इशारे पर कराया गया है। सरकार के मुताबिक, ममता सरकार बौखला गई है, तभी ऐसी हरकतें कर रही है।
ध्यान रहे कि बंगाल में राजनीतिक छींटाकशी बहुत ज्यादा हो गई है। यहां तक कि राज्यपाल भी इसमें एक कार्यकर्ता की तरह से आरोप लगाने लगे हैं। दूसरी ओर टीएमसी के लोग भी उन्हें निशाना बनाने से नहीं चूक रहे। हाल ही में तृणमूल कांग्रेस के पांच वरिष्ठ सांसदों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर संविधान का उल्लंघन करने और पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ गलत बयानबाजी का आरोप लगाया था। उन्होंने राज्यपाल को वापस बुलाने के लिए कहा था।
उधर, धनखड़ ने गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात कर विधानसभा चुनावों में हिंसा की आशंकाओं पर चर्चा की थी। धनखड़ ने बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि साल 2021 बंगाल में एक बहुत ही महत्वपूर्ण वर्ष होगा, क्योंकि राज्य में चुनाव होंगे। जब हम 2018 के पंचायत चुनाव और 2019 के आम चुनाव को देखते हैं तो पाते हैं कि उनमें हिंसा हुई। नियमों का उल्लंघन किया गया और इससे मतदाता तनाव में रहे हैं। हालांकि भारत में राज्यपाल अक्सर प्रेस वार्ताओं से गुरेज करते हैं, लेकिन बंगाल में यह लगातार हो रहा है।