Kerala Drugs: केरल ड्रग की इमरजेंसी से जूझ रहा है। इस समय यह राज्य का सबसे बड़ा मुद्दा है। इसने पंचायतों और स्कूलों को खास अभियान शुरू करने पर मजबूर किया है। पुलिस भी सोशल मीडिया के जरिये जागरूकता फैला रही है। इस संकट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राज्य विधानसभा को इसके लिए एक दिन का स्पेशल सेशन बुलाना पड़ा।

नॉर्थ केरल के एक युवक ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि दो साल पहले जब वह अबू धाबी में ड्राइवर के तौर पर काम करता था, तो उसने ड्रग्स लेने की कोशिश की। उसने कहा, ‘मेरे दोस्त सभी केरल से थे। एक ट्रिप के दौरान मुझे यह नशा दिया। नशा ऐसा था जैसा मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया था। तब तक मैं कभी-कभार पीता था, लेकिन यह कल्लू (crystal meth) था। मैं जल्द ही अपने दोस्तों के पास वापस गया और और पीने के लिए कहा। मैं नशे में था।’ उसने आगे कहा कि कल्लू के नशे में मैं दो दिन बिना सोए बिता सकता था, लेकिन उसके बाद, मैं बेहोश हो जाता और काम पर नहीं जाता। आखिरकार फिर केरल में उसके परिवार को इसकी जानकारी दी गई और उसे घर लाया गया। एक दिन बाद उसे नशा मुक्ति केंद्र लाया गया।

पंचायत के लोग चला रहे अभियान

केरल में नशीली दवाओं के खिलाफ लोग अलग-अलग अभियान चला रहे हैं। इसको एक उदाहरण के जरिये समझने की कोशिश करते हैं जैसे पलक्कड़ की करिम्बा पंचायत में लोगों ने नशीली दवाओं के तस्करों की संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सड़कों पर सीसीटीवी लगाने का फैसला किया है। मलप्पुरम जिले की ओथुक्कंगल पंचायत ने नशीली दवाओं के गलत इस्तेमाल के बारे में अलर्ट करने वालों के लिए इनाम की घोषणा की है और फ्री नशा मुक्ति कार्यक्रमों के लिए पैसा अलग रखा है।

आंकड़ों में समझें पूरी कहानी

नशीली दवाओं पर कार्रवाई में सबसे आगे रहने वाली दो एजेंसियां राज्य पुलिस और आबकारी विभाग के भी आंकड़ों पर गौर करें तो यह भी एक समस्या की तरफ इशारा करती हैं। राज्य के एक्साइज डिपार्टमेंट के आंकड़ों के अनुसार, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम के तहत दर्ज मामले 2016 में 2,985 से बढ़कर 2024 में 8,160 हो गए। यह करीब 200 फीसदी की बढ़ोतरी है। अकेले 2025 के पहले दो महीनों में 1,783 मामले देखे गए हैं। राज्य पुलिस ने 2024 में 27,530 मामले दर्ज किए। यह 2016 में 5,924 से 350 फीसदी से ज्यादा है।

कौन हैं केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन?

अगर पंजाब को हमेशा भारत के ड्रग चैलेंज का एपिसेंटर माना जाता रहा तो केरल में संकट एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों को देखते हुए कहीं ज्यादा गंभीर है। 12 मार्च को राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से दिए गए डेटा से यह बात पता चलती है कि 2024 में पंजाब में 9,025 मामले थे, जबकि केरल में 27,701 मामले थे।

आबकारी मंत्री एमबी राजेश ने कहा 2024 में देश की सभी एजेंसियों ने 25,000 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की, लेकिन केरल की यह संख्या 100 करोड़ रुपये से भी कम थी। केरल में सिंथेटिक ड्रग्स का निर्माण नहीं किया जा रहा है। ये ड्रग्स दूसरे राज्यों से और महाराष्ट्र और गुजरात के बंदरगाहों के ज़रिए लाई जाती हैं। ड्रग नेटवर्क कई राज्यों में फैला हुआ है। केरल में पहली बार एमडीएमए को एक्साइज डिपार्टमेंट ने जब्त किया था। उस वक्त यह करीब 107.63 ग्राम था। हालांकि, पिछले साल तक जब्ती पहुंचकर 3437.918 ग्राम तक जा पहुंची।

कहां से पहुंच रहा ड्रग

पुलिस और एक्साइज अधिकारियों का कहना है कि एमडीएमए जैसी दवाएं दूसरे राज्यों और बेंगलुरु जैसे शहरों के जरिये केरल में आती हैं। एनसीबी के एक अधिकारी ने कहा कि सिंथेटिक ड्रग्स के दक्षिण भारत में बेंगलुरु, गोवा और हैदराबाद मेजर प्रोडक्शन हब हैं। अधिकारी ने कहा कि स्टूडेंट, माइग्रेंट वर्कर और दूसरे राज्यों के प्रोफेशनल सिंथेटिक दवाओं के कैरियर के तौर पर काम करते हैं।

इस महीने की शुरुआत में 90 ग्राम एमडीएमए के सोर्स की जांच करते हुए कोल्लम शहर की पुलिस ने पाया कि आरोपियों में से एक दिल्ली से आपूर्ति का सोर्स बना रहा था। पुलिस ने दिल्ली से एक 29 साल के नाइजीरियाई नागरिक अबेदियो सोलोमन को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस इंस्पेक्टर आर राजीव ने कहा कि सोलोमन केरल में कासरगोड से लेकर तिरुवनंतपुरम तक लगभग हर रोज एमडीएमए की सप्लाई करता रहा है। हमने उसे खरीदार के तौर पर संपर्क किया। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि सिंथेटिक ड्रग्स विदेशों से भी आती हैं। इसमें ओमान का नाम सबसे पहले आता है।

केरल भारत के टॉप एल्कोहोल कंज्यूमर में से एक

एक रिसर्चर ने कहा कि केरल भारत के टॉप एल्कोहोल कंज्यूमर में से एक है, लेकिन सामाजिक रूप से शराब पीना बुरा माना जाता है और महिलाएं शायद ही कभी सार्वजनिक रूप से या परिवारों के साथ शराब पीती हैं। कहीं न कहीं, ड्रग्स उस छाया में चली गई। केरल में सुसाइड करने की दर भारत में सबसे ज्यादा है। युवाओं के लिए नए अवसरों की कमी, कोविड-19 के बाद का आर्थिक दबाव, विदेशों में रहने वाले 30 लाख केरल के लोगों से आने वाले पैसों की कमी और सोशल मीडिया तक मुफ्त पहुंच ने मिलकर पूरी आबादी को बेचैन और हताश कर दिया है।

केरल में वकीलों और स्टूडेंट्स के बीच झड़प

कोच्चि का आठवीं क्लास का एक स्टूडेंट ने कहा कि हमारे पास फोन हैं, हम जानते हैं कि बाहर क्या चल रहा है। बच्चे स्कूल बस में नशीले पदार्थों के बारे में चर्चा करते हैं, यहां तक ​​कि इसके खतरों के बारे में भी। कोल्लम के त्रावणकोर मेडिकल कॉलेज के डॉ एमपी राधाकृष्णन कहते हैं कि यूथ ही नशे की चपेट में सबसे ज्यादा आता है। आबकारी विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में 18 साल स से कम आयु के लोगों के खिलाफ एनडीपीएस के 75 मामले होंगे, जबकि 2023 में यह संख्या 51 थी।

केरल भी डटकर कर रहा मुकाबला

केरल भी इसका पूरी तरह से डटकर मुकाबला कर रहा है। जनवरी में ड्रग तस्करों के खिलाफ स्पेशल कैंपने के तहत शुरू किए गए ऑपरेशन डी-हंट के तहत 31 मार्च तक 12,760 मामले दर्ज किए गए और 13,449 गिरफ्तारियां की गईं। मंत्री राजेश ने कहा, ‘मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक स्टेट लेवल एंटी ड्रग कमेटी बनाई गई है। इसके उपाध्यक्ष आबकारी मंत्री हैं। सभी स्थानीय निकायों में वार्ड स्तर की समितियां बनाई गई हैं और स्कूल परिसरों में निगरानी बढ़ा दी गई है। हमने बार-बार क्राइम करने वालों का डेटाबेस तैयार किया है।’

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने ड्रग संकट पर 30 मार्च को एक हाईलेवल मीटिंग बुलाई थी। डॉ जॉर्ज ने कहा कि इस संकट के हल के लिए छापेमारी और गिरफ्तारी से ज्यादा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्कूल काउंसलर योग्य होने चाहिए, माता-पिता और टीचर्स को बच्चों पर नजर रखनी चाहिए और बर्ताव में होने वाले बदलावों को जल्दी ही पहचानना चाहिए। हमें अपने बच्चों से बात करनी चाहिए।

Shaju Philip , Vivek Surendran की रिपोर्ट