जैव प्रौद्योगिकी विज्ञान की एक ऐसी अंत:विषयक शाखा है जो युवाओं के बीच आज बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रही है क्योंकि यह युवाओं को रोजगार के पर्याप्त अवसर प्रदान कर रही है। अंग्रेजी में बायो टेक्नोलाजी के नाम से प्रसिद्ध विज्ञान की नए और आधुनिक सीमाओं का पता लगाने वाले इस विषय का विस्तार औद्योगिक क्षेत्रों जैसे भोजन, कपड़ा, दवा, कृषि, पशुपालन से लेकर जीवन के कई अन्य क्षेत्रों तक फैला हुआ है।
जैव प्रौद्योगिकी में जीव विज्ञान के अलावा विविध विषय शामिल हैं जो इसे अंत:विषयिक बनाते हैं। यह तकनीकी और इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों के साथ-साथ जैव प्रौद्योगिकी के विभिन्न नए क्षेत्रों को जन्म दे रही है जिसमें नौकरी के अनेकों अवसर हैं।
जैव प्रौद्योगिकी क्या है
जैसा कि नाम से पता चलता है, जैव प्रौद्योगिकी जीव विज्ञान और प्रौद्योगिकी का एक संयोजन विज्ञान है। इसमें मानव जाति के लिए उत्पादों को उपयोगी बनाने के लिए जैविक घटकों (सिस्टम या जीवों) का उपयोग किया जाता है। यह वह तकनीक है जो किसी विशिष्ट उपयोग के लिए उत्पाद के उत्पादन की जैविक प्रणालियों का उपयोग करती है। अपने अनुप्रयोगों के आधार पर, जैव प्रौद्योगिकी बायोइंजीनियरिंग जैसे अन्य क्षेत्रों से भी अधिक उपयोगी होती है। जैव प्रौद्योगिकी का विस्तार विविध विज्ञानों जैसे इम्यूनोलाजी, वायरोलाजी और अन्य विषयों जैसे स्वास्थ्य, कृषि, कोशिका जीव विज्ञान, पादप फिजियोलाजी, बीज प्रौद्योगिकी आदि से हुआ है।
करिअर के अवसर
एक करिअर विकल्प के रूप में आज जैव प्रौद्योगिकी रोजगार से भरपूर क्षेत्र बन चुका है क्योंकि आज हम एक ऐसे रोमांचक समय में रहते हैं, जहां हर दिन बाजार में अद्भुत खोजें, नए अनुप्रयोग और अभिनव उत्पाद आते रहते हैं। ऐसे कई संगठन भी हैं जो जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रवेश कर रहे लोगों के लिए महान संसाधन के रूप में काम करते हैं। नए, टिकाऊ खाद्य स्रोतों को खोजने के लिए जैव प्रौद्योगिकीविद निरंतर सक्रिय रहते हैं। अत: वे औद्योगिक क्षेत्र, पर्यावरण क्षेत्र, चिकित्सा क्षेत्र, खाद्य निर्माण, स्वास्थ्य देखभाल और फार्मास्यूटिकल्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम कर सकते हैं।
कौन कर सकता है अध्ययन
यदि किसी विद्यार्थी ने 12वीं कक्षा में जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिकी और गणित के साथ पढ़ाई की है तो वह स्नातक स्तर पर जैव प्रौद्योगिकी को अपनी विशेषज्ञता के रूप में ले सकता है। जैव प्रौद्योगिकी में यह स्नातक कार्यक्रम बीएससी, बीई और बीटेक हो सकता है। बीएससी कार्यक्रम तीन वर्ष का होता है जबकि बीई व बीटेक कार्यक्रम चार वर्ष का। उच्च शिक्षा के इच्छुक विद्यार्थी स्नातक के बाद बायोटेक में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम भी कर सकते हैं और वे जैव प्रौद्योगिकी में एमएससी, एमई/एमटेक की डिग्री भी हासिल कर सकते है। अनुसंधान और विकास में रुचि रखने वाले विद्यार्थी जैव प्रौद्योगिकी और संबंधित क्षेत्रों में पीएचडी की डिग्री हासिल करके अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं।
जैव प्रौद्योगिकीविद के रूप में भूमिका
प्रारंभिक स्तर बायोटेक्नोलाजिस्ट या बायोटेक्नोलाजी में स्नातक डिग्री वाले उम्मीदवार शोध टेक्नीशियन के रूप में काम कर सकते हैं। वे प्रमुख अनुसंधान वैज्ञानिकों को प्रयोग करने और निगरानी करने में मदद करते हैं और डेटा रिकार्ड भी कर सकते हैं और रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं। स्नातकोत्तर डिग्री वाले शोध परियोजनाओं और टीम के नेतृत्व के रूप में काम करने की उम्मीद कर सकते हैं। डाक्टरेट और पोस्ट-डाक्टरेट स्तर पर उम्मीदवार शोध वैज्ञानिक, प्रयोगशाला निदेशक या विश्वविद्यालय में व्याख्याता के रूप में भी काम कर सकते हैं।
एक प्रशिक्षित बायोटेक्नोलाजिस्ट जिस क्षेत्र में काम कर सकता है, वह बहुत बड़ा है। चूंकि जैव प्रौद्योगिकी में कई विषय शामिल हैं, इसलिए विभिन्न उद्योगों में विशेषज्ञों की बहुत मांग है। स्वास्थ्य, औषधि, फार्मास्युटिकल, कृषि, पशुपालन, आनुवंशिक इंजीनियरिंग, पर्यावरण संरक्षण, मृदा जीव विज्ञान पारिस्थितिकी, वस्त्र उद्योग, प्रसाधन सामग्री आदि क्षेत्रों में जैव प्रौद्योगिकी में रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। इसके अलावा यदि कोई विद्यार्थी जैव प्रौद्योगिकी की जानकारी के साथ-साथ तकनीकी का ज्ञान रखता है या इससे जुड़े किसी भी प्रकार का पाठ्यक्रम किया है तो उसके लिए अन्य क्षेत्रों में भी अवसर उपलब्ध हैं।
इस क्षेत्र में नए स्नातक 8,000 रुपए से 20,000 रुपए के बीच मासिक वेतन की उम्मीद कर सकते हैं। वहीं, यदि कोई व्यक्ति इसमें उच्च शिक्षण प्राप्त है और पीएचडी आदि जैसी कोई डिग्री हासिल किया है तो उसका वेतन डेढ़ लाख से पांच लाख रुपए अथवा इससे अधिक भी हो सकता हैं।
- संजय सिंह बघेल (शिक्षक, दिल्ली विश्वविद्यालय)