जम्मू कश्मीर के सोफियां में दो महिलाओं की मौत के पीछे कोई साजिश नहीं थी। 13 साल की सीबीआई जांच के बाद पता चला कि घाटी के हालात बिगाड़ने के लिए पाक परस्त दो डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेरफेर करके बता दिया कि महिलाओं की रेप के बाद हत्या की गई थी। फिलहाल सीबीआई की रिपोर्ट के आधार पर जम्मू कश्मीर प्रशासन ने दो चिकित्सकों को टर्मिनेट कर दिया है। एजेंसी ने कुल 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। सभी पर आरोप हैं कि इन लोगों ने झूठे साक्ष्य गढ़कर मामले को तूल देने की पूरी कोशिश की, जिससे माहौल खराब हो जाए।

जिन दो चिकित्सकों को नौकरी से बाहर किया गया उनमें डॉ. निगहत शाहीन और डॉ. बिलाल अहमद दलाल शामिल हैं। दोनों सरकारी नौकरी में थे। एजेंसी का दावा है कि दोनों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट को ही तब्दील कर दिया था। आरोप है कि दोनों पाकिस्तान के इशारे पर काम करते हैं। केंद्रीय सुरक्षा बलों के खिलाफ माहौल बनाने के लिए दोनों चिकित्सक काम करत थे। लेकिन इस बार उनका गड़बड़झाला पकड़ में आ ही गया।

मई 2009 में मिली थीं दोनों महिलाओं की लाश

ये मामला तब का है जब सूबे में डॉ. उमर अब्दुल्ला की सरकार थी। एक किशोरी और उसकी भाभी की संदेह भरे हालात में मौत हुई थी। उनकी मौत के बाद कश्मीर में तकरीबन एक माह तक आपाधापी का माहौल बना रहा। जगह जगह पर विरोध प्रदर्शन हुए। 29 मई 2009 को दोनों की लाश मिली थी। उसके बाद लोगों ने जगह जगह पर विरोध प्रदर्शन करके सरकार से मांग की कि रिटायर्ड जस्टिस की अगुवाई में जांच कमीशन बने।

शव मिलने के 1 माह बाद पुलिस ने दर्ज किया था रेप और हत्या का केस

लोगों का गुस्सा देखकर जून 2009 में पुलिस ने रेप और हत्या के आरोप के तहत केस दर्ज भी कर दिया था। उस दौरान हुए प्रदर्शनों में तकरीबन 103 लोग जख्मी हुए। हड़ताल के लिए 42 बार आह्वान किया गया। पुलिस ने विरोध को काबू करने के लिए 251 केस दर्ज किए थे। सरकार के निर्देश पर रिटायर्ड जस्टिस ने मामले की जांच की और कहा कि पुलिस ने साक्ष्यों से खिलवाड़ किया। एक महिला के पति पर भी कमीशन ने उंगली उठाई थी।

हालात देखकर डॉ. उमर अब्दुल्ला ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी थी। 13 साल तक एजेंसी ने जांच करके अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। इस दौरान हर पहलू खंगाला गया। सीबीआई ने माना कि डॉक्टरों ने साजिश के तहत पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदली और रेप, हत्या की कहानी गढ़ दी।