बीते कुछ महीनों से आवश्यक वस्तुओं और ईंधन के मूल्य में लगातार हो रही वृद्धि के कारण आम लोगों के घर का बजट पूरी तरह गड़बड़ा गया है। समाज का लगभग हर वर्ग इससे परेशानी महसूस कर रहा है। सीएनजी की कीमत में हुई दस रुपए प्रति किलो की वृद्धि के कारण आटो और कैब चालकों ने 18 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की धमकी दी है।

एक ओर जहां सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं, वहीं पिछले एक महीने में पेट्रोल और डीजल के दाम में दस रुपए प्रति लीटर तक वृद्धि हुई है। इसके अलावा, रसोई गैस सहित अन्य पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में भी वृद्धि देखी गई है, जिससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है। भोपाल के एक दूध विक्रेता कल्लू राम (50) ने कहा कि कीमतों में वृद्धि से उनकी बचत पर सेंध लगी है। उन्होंने कहा ‘मैं अपने ग्राहकों को बाइक से दूध पहुंचाने जाता हूं। कुछ महीने पहले मैं पेट्रोल पर केवल 100 रुपए प्रतिदिन खर्च करता था, जबकि आज यह खर्च बढ़ कर 160 रुपए प्रतिदिन तक पहुंच गया है। मैं चाहता हूं कि पेट्रोल के दाम कम हों।

चंडीगढ़ के एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी बलदेव चंद ने कहा कि महंगाई ने उनके घर के बजट को बहुत प्रभावित किया है। वे कहते हैं ‘मेरी पेंशन का एक अच्छा हिस्सा पहले ही मेरी और मेरी पत्नी द्वारा ली जाने वाली दवाइयों पर खर्च हो रहा था। जरूरी वस्तुओं की बढ़ती कीमतों ने हमें सभी गैर-जरूरी खर्चों पर रोक लगाने के लिए मजबूर कर दिया है।

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बाजार में सब्जी बेचने वाली कामिनी पटेल का कहना है कि र्इंधन की कीमतों में वृद्धि से ग्राहक और विक्रेता दोनों प्रभावित हुए हैं। कामिनी ने कहा ‘पहले मैं रोजाना 1500 रुपए तक कमा लेती थी, लेकिन अब आमदनी 1000 रुपए से भी नीचे आ गई है। लोग महंगी सब्जियां खरीदने से कतरा रहे हैं।’ कोविड-19 महामारी के कारण घाटे में चल रहे होटल और रेस्तरां मालिकों का कहना है कि गैस सिलेंडर और अन्य वस्तुओं की कीमतों में हुई वृद्धि ने कोविड महामारी के बाद व्यापार को एक ओर झटका दिया है।