ओडिशा में बुधवार की रात पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के रहने वाले 30 वर्षीय मजदूर की कुछ लोगों ने पीट-पीट कर हत्या कर दी। पुलिस इस घटना से जुड़े छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

पीड़ित ज्वेल शेख सूती पुलिस स्टेशन क्षेत्र के चकबहादुरपुर गांव का रहने वाला था और ओडिशा में काम करता था। उसके साथी और परिवार वालों ने आरोप लगाया कि उसे अवैध बांग्लादेशी प्रवासी समझकर लोगों ने हमला किया।

पुलिस ने किया इनकार

हालांकि ओडिशा पुलिस ने इससे इनकार किया और दावा किया कि आरोपी और मृतक एक-दूसरे को पहले से जानते थे। पुलिस के मुताबिक, यह घटना शांतिनगर इलाके में तब घटी जब बुधवार की रात मजदूर अपने काम से लौट रहे थे।

बीड़ी मांगी फिर देखा आधार कार्ड- मजदूर

ओडिशा में काम करने वाले मुर्शिदाबाद के आठ में एक मजदूर पल्टू शेख ने आरोप लगाते हुए कहा, “हम एक चाय की दुकान पर खड़े थे। कुछ लोगों ने ज्वेल से बीड़ी पूछी, इसके बाद आधार कार्ड मांगा ये जानने के लिए हम कहां से हैं। हमने उन्हें आधार कार्ड दिखाया। अचानक वो लोग बांस के डंडे लेकर आ गए और हमें पीटने लगे। ज्वेल को सिर पर मारा, कुछ अन्य लोग भी इसमें घायल हो गए।”

पल्टू शेख ने कहा, “हम उसे लेकर अस्पताल भागे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अब हम पोस्टमार्टम पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं और फिर हम शव को लेकर घर जाएंगे। ओडिशा में मैंने 12 साल काम किया, लेकिन यह पहली बार है जब हमने ऐसी घटना का सामना किया।”

दो अन्य मजदूर, अकिर शेख और पलाश शेख भी हमले घायल हुए थे, उनका इलाज संबलपुर के अस्पताल में चल रहा।

एएसपी ने बीड़ी को बताई वजह

संबलपुर के एएसपी श्रीमंता बरिक ने कहा कि पश्चिम बंगाल के मजदूर उस इलाके में कई सालों से रह रहे थे और उनकी वहां के निवासियों से अच्छी जान पहचान थी।

बरिक ने कहा,”घटना वाले दिन बीड़ी मांगने को लेकर विवाद हुआ। बंगाली मजदूरों ने जब देने से मना किया तो आरोपियों ने उन पर हमला कर दिया। हमने छह लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य की पहचान की जा रही है।”

मृतक की मां ने मांगा न्याय

फोन पर बात करते हुए ज्वेल की मां नगिमा बीबी ने कहा, “वह 20 दिसंबर को वहां राजमिस्त्री का काम करने गया था। वह तीन महीने के लिए वहां गया था। अब उसकी लाश वापस आ रही है। हमने उनके साथियों से सुना कि उन गुंडों ने उन्हें बांग्लादेशी कहकर खूब पीटा। मुझे मेरे बेटे के लिए न्याय चाहिए।”

मृतक के चाचा रियाकुल हक ने कहा,”हमने सुना की ओडिशा में हमारे लड़कों को हिरासत में लिया गया और उनपर हमला किया गया, लेकिन हमें लगा कि यह कभी-कभार की घटना है। हम गरीब लोग हैं। ज्वेल वहां 600 रुपये की दिहाड़ी मजदूरी करने गया था।”

टीएमसी ने नेताओं से मदद करने को कहा

इस घटना को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने अपने स्थानीय नेताओं को पीड़ित के परिवार से मिलने को कहा है। स्थानीय टीएमसी नेता और बंगाल के सूती विधायक इमानी बिश्वास भी ज्वेल के घर पहुंचे और पीड़ित के परिजनों को हर संभव मदद का वादा किया।

घटना को लेकर पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूर कल्याण बोर्ड के चेयरमेन और टीएमसी के राज्यसभा सांसद समीरुल इस्लाम ने कहा,”ऐसी घटनाएं भाजपा राज ओडिशा में लगातार हो रही हैं। अवैध हिरासत, बांग्लादेशी कहकर हमले और अब गरीब मजदूरों की हत्या की जा रही। बीजेपी के हाथ खून से रंगे हैं। हम इस समय परिवार के साथ खड़े हैं और उनकी हर संभव मदद करेंगे।”

पश्चिम बंगाल में प्रवासी श्रमिक एकता मंच के राज्य महासचिव आसिफ फारुक ने कहा,”इस मामले को लेकर बंगाल सरकार को ओडिशा की राज्य सरकार से बात करनी चाहिए। ऐसी घटनाएं रुकनी चाहिए। पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाना चाहिए। सिर्फ ओडिशा ही नहीं, बंगाली मजदूरों को अन्य राज्यों में भी निशाना बनाया जा रहा है।”

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