भाजपा के वरिष्ठ नेता और मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट से विधायक रामवीर सिंह अक्सर चर्चाओं में रहते हैं। ताजी चर्चा उनकी एक बैठक है, जिसे उन्होंने लखनऊ के एक बड़े होटल में की थी। कहा जा रहा है कि इसमें करीब 40 ठाकुर विधायक भी पहुंचे। रामवीर सिंह ने इसका नाम ‘कुटुम्ब परिवार’ रखा। बैठक को यह नाम देने और ठाकुर विधायकों की मौजूदगी को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसको लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी तंज कसा है। उन्होंने कहा कि यह किसी की कुर्सी हिलने का संकेत है।

रामवीर सिंह ने समाचार पत्र दैनिक भास्कर को बताया कि इस आयोजन के पीछे उनकी कोई राजनीतिक मंशा नहीं थी, बल्कि यह एक पारिवारिक कार्यक्रम था। उनके अनुसार- “कार्यक्रम दरअसल उनकी पोती के जन्मदिन से जुड़ा हुआ था। उन्होंने दावा किया कि इसमें सिर्फ ठाकुर ही नहीं, बल्कि दलित और ब्राह्मण वर्ग के लोग भी शामिल हुए। उनका कहना था कि समय कम होने के कारण जो सामने आया, उसे निमंत्रण दे दिया गया।”

अखिलेश यादव ने यह कहा

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि यह मुख्यमंत्री की कुर्सी हिलने का संकेत है। उन्होंने कहा, “अगर इस तरह की कोई बैठक हो रही है तो सरकार बनाने के लिए नहीं हो रही है बैठक। सरकार से नाराज हो सकते हैं या कुर्सी हिलने की बात हो रही होगी। ये तो दिल्ली और लखनऊ वाले जानें। दिल्ली वालों ने क्या इशारा किया कि यह बैठक हो रही है। हम एक ही बात मानते हैं वहां पर पीडीए के जो लोग बैठे हैं, वे घुट रहे हैं, वे घुटे जा रहे हैं, उनको कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा है। उनका भी विजन साफ है 2027 में पीडीए के साथ रहेंगे।”

सोशल मीडिया पर लिखा- जातीय रंग न दें

अपने सोशल मीडिया हैंडल @RamveerSinghBJP में भी रामवीर सिंह ने लिखा, “कल मेरी पोती के जन्मदिन पर मेरे शुभचिंतकों द्वारा एक पार्टी का आयोजन किया गया था और उस पार्टी में मेरे पारिवारिक मित्र और घर-परिवार के लोग शामिल हुये। हालाँकि इस पारिवारिक आयोजन को कुछ मीडिया संस्थानों ने राजनैतिक और जातीय रंग देने की भरपूर कोशिश की है जो सही नहीं है। मैं राजनैतिक जीवन में सर्व समाज के लिए काम करता हूँ और जिस पार्टी का मैं प्रतिनिधित्व करता हूँ उसमें जातीय राजनीति की कोई जगह नहीं है। दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय की परिकल्पना को साकार करने के लिए मैं राजनीति में आया हूँ और इसी विचारधारा के साथ संकल्पित रहूँगा।जय हिन्द ??”

उन्होंने साफ किया कि इस आयोजन के पीछे किसी बड़े नेता की भूमिका नहीं थी। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इसके बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी।” सिंह का कहना था कि ऐसा कभी सोचा भी नहीं गया कि इस तरह की पारिवारिक बैठक के लिए योगी या प्रधानमंत्री मोदी से राय ली जाए।

‘बीजेपी के इशारे पर चुनाव आयोग ने डकैती की थी…’, अयोध्या का जिक्र कर EC पर भड़के अखिलेश यादव

उन्होंने मंत्री पद मिलने की संभावना के सवाल पर कहा, “भाजपा में मंत्री चुनने का फैसला शीर्ष नेतृत्व करता है—राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और मुख्यमंत्री मिलकर तय करते हैं। उनका कहना था कि पार्टी में कार्यकर्ता के रूप में काम करना भी गर्व की बात है और जिम्मेदारी मिलने पर उसे निभाया जाएगा।”

रामवीर सिंह ने कहा कि कार्यक्रम को लेकर पार्टी संगठन ने उनसे कोई सवाल नहीं किया। उनके मुताबिक, इसे सामान्य सामाजिक आयोजन के तौर पर ही देखा गया। उनका कहना था कि पार्टी में सक्षम और अनुभवी नेता हैं, जिन्हें यह पूरी तरह साधारण लगा।” बैठक में खास तौर पर ठाकुर विधायकों को एक साथ बुलाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि योगी और मोदी कैबिनेट में हर वर्ग और धर्म को प्रतिनिधित्व मिला है। मंत्रिमंडल विस्तार का निर्णय पूरी तरह से पार्टी नेतृत्व के हाथ में है।

भविष्य की योजनाओं पर बोलते हुए विधायक ने स्पष्ट किया कि कुटुम्ब परिवार आगे भी मिलता रहेगा। उनके अनुसार, जन्मदिन, विवाह या अन्य अवसरों पर रिश्तेदार और मित्र एकत्र होते ही हैं। इसे जाति से जोड़ना उचित नहीं है। यह आयोजन 11 अगस्त को लखनऊ के होटल क्लार्क अवध में हुआ था, जिसने राजनीतिक बहस को जन्म दिया। हालांकि रामवीर सिंह का दावा है कि इसमें किसी तरह का राजनीतिक संदेश देने की मंशा नहीं थी। उन्होंने कहा कि वे जातीय राजनीति करके विधायक नहीं बने, बल्कि उन्हें मुस्लिम और हिंदू – दोनों समुदायों से वोट मिले।

सीएम योगी की प्रतिक्रिया पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने इस पर कोई सवाल नहीं किया। होर्डिंग्स और अन्य व्यवस्थाओं को लेकर उन्होंने कहा कि पूरी जिम्मेदारी स्थानीय कार्यकर्ताओं ने संभाला, इसके लिए पहले से कोई रणनीति नहीं बनाई गई थी। रामवीर सिंह ने दोहराया कि कुटुम्ब परिवार केवल सामाजिक मेलजोल का मंच है और इसे जाति या राजनीति से जोड़ना गलत होगा।