असम में चल रहे डी लिमिटेशन के खिलाफ 10 नेताओं की अपील पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने स्टे देने से इनकार कर दिया। लेकिन सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने जब अपनी दलीलें पेश कीं तो खुद सुनवाई के लिए तैयार हो गए। उनका कहना था कि वो Representation of People Act के सेक्शन of Section 8A के तहत चुनाव आयोग के फैसले को वो खुद देखेंगे। दिल्ली सर्विस आर्डिनेंस के केस की सुनवाई के बाद वो तारीख देंगे।

कपिल सिब्बल ने अपनी दलील में कहा कि चुनाव आयोग जिस तरह से फैसला ले रहा है वो गलत है। असम में चुनाव आयोग विधानसभाओं का परिसीमन करा रहा है। इसके तहत विधानसभाओं में छेड़छाड़ की जाएगी। सीजेआई ने इस फैसले में दखल देने से इनकार करते हुए कहा कि ये फैसला एक संवैधानिक बॉडी ने लिया है। वो इसमें दखल देने नहं जा रहे। लेकिन दिल्ली आर्डिनेंस पर सुनवाई के बाद वो इसकी सुनवाई करेंगे। उनका कहना था कि वो इस मामले को खुद देखने जा रहे हैं।

कपिल सिब्बल ने कहा कि जिस तरह से असम में चुनाव आयोग परिसीमन शुरू करने जा रहा है वो गलत है। ये एक सुप्रीम कोर्ट के रिटयर जस्टिस की देखरेख में होना चाहिए। सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद सीजेआई बोले कि वो आयोग के फैसले पर स्टे नहीं देना चाहते। परिसीमन का काम शुरू हो चुका है। आयोग एक संवैधानिक संस्था है। लेकिन को एक्ट को जरूर देखते जा रहे हैं। इसके बाद उन्होंने रजिस्ट्री को आदेश दिया कि असम, केंद्र के साथ चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया जाए।

असम में एक सदनीय विधान सभा है । यह असम की राजधानी दिसपुर में स्थित है। दिसपुर पश्चिमी असम क्षेत्र में स्थित है। विधान सभा में कुल 126 सदस्य शामिल हैं। ये सीधे एकल-सीट निर्वाचन क्षेत्रों से चुने जाते हैं। इसकी अवधि पांच वर्ष है। असम में पहले दो सदन होते थे। लेकिन 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद असम विधान परिषद को समाप्त कर दिया गया। भारत के विभाजन के बाद विधानसभा की सदस्य संख्या भी घटकर 71 रह गई। ये बाद में बढ़कर 126 तक पहुंच गई। फिलहाल चुनाव आयोग नए सिरे से परिसीमन का काम कर रहा है। इसमें आबादी के लिहाज से विधानसभा क्षेत्रों को एक नई शक्ल दी जाएगी। कपिल सिब्बल का कहना था कि केंद्र चुनाव आयोग की आड़ में अपना एजेंडा चला रही है।