अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में कलह मची हुई है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच घमासान मचा हुआ है। सोमवार को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के 10 समर्थक विधायकों ने कहा कि वे अभी भी राज्य के सबसे बड़े नेता हैं। साथ ही विधायकों ने नवजोत सिंह सिद्धू को कैप्टन से माफ़ी मांगने के लिए कहा है।

वहीं नवजोत सिंह सिद्धू रविवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह के गृह क्षेत्र पटियाला पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के नजदीकी नेताओं से भी मुलाकात की। सिद्धू ने अमरिंदर की पत्नी परनीत कौर के करीबी माने जाने वाले विधायक मदन लाल के घर जाकर उनसे मुलाकात की। साथ ही सिद्धू ने शनिवार को 30 से ज्यादा विधायकों के साथ भी मुलाकात की और उसकी फोटो भी शेयर की। फोटो शेयर करते हुए लिखा गया कि संख्या बढ़ रही है।

संडे एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अमरिंदर सिंह राज्य इकाई अध्यक्ष को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के द्वारा लिए गए फैसले का सम्मान करेंगे। लेकिन कैप्टन ने साफ़ कर दिया है कि जबतक सिद्धू उनके ऊपर लगाए गए आरोपों के लिए माफ़ी नहीं मांगेंगे तबतक वे उनसे नहीं मिलेंगे। वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह के समर्थन में आए विधायकों ने कहा है कि पार्टी यूनिट चीफ बनाना आलाकमान का विशेषाधिकार है लेकिन आपसी झगड़े की वजह से पार्टी का ग्राफ गिरा है। विधायकों ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की वजह से ही 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौर के बाद कांग्रेस की सरकार बनी। विधायकों ने पार्टी आलाकमान से कैप्टन अमरिंदर सिंह को निराश नहीं करने का आग्रह किया है।

कैप्टन के समर्थन में आए विधायकों में हरमिंदर सिंह गिल, फतेहजंग सिंह बाजवा, गुरप्रीत सिंह जीपी, कुलदीप वैद, बलविंदर लाडी, संतोख सिंह भलाईपुर, जोगिंदरपाल भोआ, सुखपाल सिंह खैहरा, निर्मल सिंह खालसा, जगदेव सिंह कमालू शामिल हैं। इनमें से 7 विधायक कांग्रेस के हैं जबकि तीन विधायक आम आदमी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं। सुखपाल सिंह खैहरा, निर्मल सिंह खालसा, जगदेव सिंह कमालू पहले आम आदमी पार्टी के विधायक थे लेकिन बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।

वहीं शनिवार को कैप्टन अमरिंदर अमरिंदर सिंह से मुलाकात के बाद अब राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने भी दिल्ली में अपने आवास पर पंजाब के सांसदों की बैठक बुलाई है। सांसद ने घोषणा किया है कि वे सिद्धू को राज्य इकाई का चीफ बनाए जाने का विरोध करने के लिए एक रणनीति तैयार करेंगे और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात का समय भी मांगेंगे।