30 साल के लम्बे इंतजार के बाद आखिकार भारत में बना फाइटर जेट ‘तेजस’ शुक्रवार को वायुसेना में आधिकारिक रूप से शामिल कर लिया गया। कई मायनों में इंतजार अच्छा साबित हुआ क्योंकि यह लाइट काॅम्बैट एयरक्राफ्ट विश्वस्तरीय है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड शुक्रवार को बेंगलुरु में भारतीय वायुसेना को पहले दो तेजस एयरक्राफ्ट हैंडओवर कर दिए।
तेजस चीन और पाकिस्तान को भारतीय चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। पाकिस्तान और चीन मिलकर JF-17 बना चुके हैं। तेजस करीब 2,300 किलोमीटर की उड़ान भर सकता है जबकि JF-17 2,037 किलोमीटर तक उड़ सकता है। इसके अलावा तेजस में 2,500 किलो ईंधन आ सकता है जबकि JF-17 में 2,300 किलो ईंधन रखने की क्षमता है। दोनों फाइटर जेट्स के इंजन में भी विभिन्नताएं हैं। तेजस में बीच हवा में ही फिर से ईंधन भरा जा सकता है, ऐसा JF-17 के साथ नहीं किया जा सकता। इससे तेजस की रेंज और युद्ध-कुशलता बढ़ती है। तेजस हवा में JF-17 से ज्यादा रफ्तार से उड़ान भर सकता है। भारत के पास इंडो-रशियन Su-30MKI जैसा अत्याधुनिक फाइटर प्लेन भी है जो पाकिस्तानी वायुसेना पर हावी होने में मदद करता है।
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तेजस की पहली स्क्वाड्रन का नाम ‘फ्लाइंग ड्रैगर्स 45 रखा गया है। यह स्क्वाड्रन पहले दो साल तक बेंगलुरु में रहेगी, फिर तमिलनाडु के सुलूर चली जाएगी। 17 मई को तेजस से अपनी पहली उड़ान भरने वाले एयरचीफ मार्शल अरूप राहा ने एयरक्राफ्ट को बेड़े में शामिल होने को ‘अच्छा बताया है। वायुसेना ने कहा कि वह इस वित्तीय वर्ष में कुल छह एयरक्राफ्ट और अगले साल 8 एयरक्राफ्ट शामिल करने की योजना बना रहा है।