केरल में साइरो-मालाबार गिरजाघर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े मलयाली प्रकाशन ‘केसरी’ में प्रकाशित उस लेख की सोमवार को निंदा की, जिसमें ईसाई समुदाय पर धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया गया था। ‘हिंदू ऐक्यवेदी’ के प्रदेश उपाध्यक्ष ई.एस. बीजू ने वह लेख लिखा था।

‘साइरो-मालाबार मीडिया आयोग’ ने अपने फेसबुक पेज पर एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया है कि ‘केसरी’ में प्रकाशित लेख “भ्रामक एवं तथ्यात्मक रूप से आधारहीन” है और इसका उद्देश्य केरल में सांप्रदायिक सौहार्द का माहौल बिगाड़ना है।

ऐतिहासिक उदाहरणों का हवाला देते हुए आयोग ने कहा कि अतीत में इस तरह की चीजों ने ईसाइयों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दिया है, जिसमें मिशनरी ग्राहम स्टेन्स और उनके बच्चों की हत्या, ओडिशा के कंधमाल में सांप्रदायिक दंगे और फादर अरुल दास व सिस्टर रानी मारिया की हत्याएं शामिल हैं।

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बयान में कहा गया है, “क्या बीजू और हिंदू ऐक्यवेदी झूठ गढ़ने में गोएबल्स (जर्मन नाजीवादी नेता जोसेफ गोएबल्स) से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं?”

आयोग ने याद दिलाया कि भारत के लोगों ने 1947 में धर्मशासित देश नहीं बनने का निर्णय लिया था। आयोग ने चेतावनी दी कि सांप्रदायिक संगठन अब उस नींव को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। आयोग ने सवाल किया कि यदि हिंदू आध्यात्मिक नेता विदेश में अपनी शिक्षाओं का स्वतंत्र रूप से प्रचार कर सकते हैं और वहां से धन प्राप्त कर सकते हैं, तो फिर भारत में ईसाइयों और अन्य धर्म के लोगों को क्यों रोका जा रहा है।

लेख में क्या कहा गया है?

‘केसरी’ में प्रकाशित लेख में, बीजू ने पिछले कुछ वर्षों में देश में हुए कथित धर्मांतरण को लेकर ईसाई समुदाय पर निशाना साधा। लेख में कहा गया है कि अगर धर्मांतरण धार्मिक ताकतों का अधिकार है, तो इसका विरोध करना हिंदुओं का अधिकार एवं कर्तव्य है। लेख में कहा गया है कि देश की वर्तमान “विचित्र स्थिति” को बदलना होगा, जिसके लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता है।

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