जम्मू-कश्मीर के उरी में 18 सितंबर 2016 को जब सेना के कैंप पर हमला हुआ, तो पूरा भारतीय जनमानस हैरान रह गया। ये हमला अप्रत्याशित था। हमले में शहीद होने वाले सैनिकों की संख्या 19 भी अप्रत्याशित थी। राष्ट्रवाद का नारा देकर सत्ता में आई नरेंद्र मोदी सरकार पर बदला लेने का गहरा दबाव था। इसी के नतीजे में भारतीय सेना ने अंजाम दिया सर्जिकल स्ट्राइक। 28-29 सितंबर की दरम्यिानी भारत की सेना पाक अधिकृत कश्मीर में घुसी और आतंकियों के ठिकाने को नेस्तानाबूद कर दिया। सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाने से लेकर इसे अंजाम तक पहुंचाने वाले उत्तरी कमांड के जनरल कमांडिंग ऑफिसर (जीओसी), लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) देवेंद्र सिंह हुड्डा बताते हैं कि उरी हमले के बाद ही सेना ने तय कर लिया था कि हमलावरों को दंडित करना होगा। राज्यसभा टीवी को दिये इंटरव्यू में डी एस हुड्डा बताते हैं कि ये ऑपरेशन बेहद खुफिया रखा गया था। लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) देवेंद्र सिंह हुड्डा कहते हैं, “आर्मी हेडक्वार्टर में 10 लोगों से ज्यादा को इस के बारे में जानकारी नहीं थी, मेरे दफ्तर में 6 से 7 लोगों की इसकी जानकारी थी, और जिन जवानों को इस काम के लिए जाना था उन्हें भी पता था लेकिन उन्हें भी सिर्फ टारगेट के बारे में बताया गया था, पूरी योजना का उन्हें भी पता नहीं था।”
सैन्य ऑफिसर देवेंद्र सिंह हुड्डा से जब पूछा गया कि इस काम के लिए जवानों के कैसे चुना गया तो उन्होंने कहा, ‘ऑपरेशन में शामिल जवान स्पेशल फोर्सेज से थे, कुछ सोल्जर इंफैंट्री बटालियन से थे…जहां तक स्पेशल फोर्सेज का सवाल है तो 2015 में म्यांमार पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद हम लगने लगा कि ऐसा ही कुछ नॉर्दन कमान को भी करने के लिए कहा जा सकता है, इसलिए हमने 2015-16 की सर्दियों में हमने स्पेशल फोर्सेज के जवानों को कड़ी ट्रेनिंग दी थी…हालांकि हमें टारगेट का पता नहीं था, यहीं से हमने जवानों का अंतिम चयन किया था।”
लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) देवेंद्र सिंह हुड्डा बताते हैं कि जब सेना की कार्रवाई हो रही तो वह अपने ऑफिसरों के साथ कमांड पोस्ट में बैठे थे। वह कहते हैं, “हमलोग टारगेट एरिया की तस्वीरें देख रहे थे…जो कि हमारे पास लाइव आ रहा था…हमें चिंता थी, लेकिन हमने जो ट्रेनिंग उनको दी थी इससे हम काफी संतुष्ट थे कि जो ट्रेनिंग हमने उनको दी है वे अपना काम कामयाबी से करेंगे। डीएस हुड्डा बताते हैं कि हमले की तस्वीरें उनके साथ पांच-छह दूसरे ऑफिसर भी देख रहे थे, वो कहते हैं कि हमले की तस्वीरों को दिल्ली लाइव रिले किया जा रहा था, लेकिन वहां इन तस्वीरों को कौन देख रहा था ये आइडिया उनके पास नहीं है।”
डीएस हुड्डा बताते हैं कि इस पूरे ऑपरेशन के दौरान उन्हें पाकिस्तान की ओर से मिली कमजोर प्रतिक्रिया को देखकर हैरानी हुई। उनके मुताबिक ये चौकाने वाला था। उनका रिएक्शन बहुत कमजोर था। हुड्डा कहते हैं कि पूरा ऑपरेशन एक रात तक चला और भारत द्वारा किया गया पहला हमला करीब रात 12 बजे था, जबकि आखिरी वार सुबह के साढ़े छह बजे किया गया। लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) देवेंद्र सिंह हुड्डा कहते हैं कि भारत की कार्रवाई के बाद पाकिस्तानी खेमे में कोहराम मच गया था, ऐसा वो इसलिए कह सकते हैं क्योंकि इंडियन आर्मी पाकिस्तानी सेना के बातचीत को रिकॉर्ड करती है और उनके रिकॉर्ड से बात साबित हुई है। इसके अलावा सेना का मनोबल भी बढ़ा।
सर्जिकल स्ट्राइक पर किताब लिखने वाले नितिन ए गोखले कहते हैं कि जब उन्होंने सैन्य ऑफिसरों से पूछा कि इस हमले में दुश्मन को कितना नुकसान हुआ, उनके कितने लोग मारे गये। इसके जवाब में सैन्य ऑफिसर बताते हैं कि अगले दिन हमने सीमा पार से जो रेडियो बातचीत रिकॉर्ड किये उसके आधार पर कहा जा सकता है कि कम से कम 80 लोग हताहत हुए जिन्हें भारतीय सेना ने निशाना बनाया था।