सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी के आरोपों पर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा रिटायर्ड जस्टिस मदन बी लोकुर की अगुवाई में गठित आयोग द्वारा की जा रही जांच पर शुक्रवार को रोक लगा दी। CJI एन वी रमण की अध्यक्षता वाली बेंच ने पश्चिम बंगाल के आयोग द्वारा की जा रही जांच पर अंसतोष जताया। सुप्रीम कोर्ट ने भारत में कुछ लोगों की निगरानी के लिए इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के कथित इस्तेमाल की जांच के लिए साइबर एक्सपर्ट की तीन सदस्यीय कमेटी 27 अक्टूबर को गठित की थी। उच्चतम न्यायालय के पूर्व जस्टिस आर वी रवींद्रन की निगरानी में यह कमेटी गठित की गई थी।

CJI एन वी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने उस याचिका पर संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार के आश्वासन के बावजूद आयोग ने अपना काम शुरू कर दिया है। राज्य सरकार ने आश्वासन दिया था कि लोकुर आयोग जांच पर आगे कार्रवाई नहीं करेगा। बेंच ने कहा कि यह क्या है? आखिरी बार आपने (पश्चिम बंगाल सरकार) हलफनामा दिया था कि जिसे हम फिर से दर्ज करना चाहते हैं कि आयोग आगे की कार्यवाही नहीं करेगा। आपने कहा था कि आदेश में यह रिकॉर्ड करना जरूरी नहीं है। आपने फिर से जांच शुरू कर दी है।

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए सीनियर काउंसिल ए एम सिंघवी ने कहा कि उसने पहले लोकुर आयोग को कार्यवाही रोकने का संदेश दिया था और उसने 27 अक्टूबर का आदेश आने तक आगे कार्रवाई नहीं की थी। इसके अलावा, सरकार ऐसा कोई निर्देश नहीं दे सकती है।

सिंघवी ने कहा कि क्या मैं एक चीज स्पष्ट कर सकता हूं कि मैंने कहा था कि मैं आयोग को कंट्रोल नहीं करता हूं, लेकिन मैं रोक के बारे में बताऊंगा। मैंने रोक के बारे में बताया था और यह उस समय तक था जब तक कोर्ट मामले पर फैसला नहीं लेती। अब पेगासस मामले पर अदालत के फैसला लेने पर आयोग ने जांच शुरू कर दी…आयोग के वकील को बुलाइए और आदेश दीजिए मैं राज्य सरकार की ओर से निर्देश नहीं दे सकता हूं। मैंने रोक के बारे में बता दिया था और आयोग ने अदालत का आदेश पारित होने तक कुछ भी नहीं किया।

बेंच ने कहा कि वह ‘‘राज्य की स्थिति’’ को समझती है और उसने आदेश दिया, ‘‘ठीक है, हम सभी संबंधित प्रतिवादियों को नोटिस जारी करेंगे और तब तक हम कार्यवाही पर रोक लगाते हैं।’’ व्यक्तिगत रूप से याचिका दायर करने वाले वकील एम एल शर्मा ने कहा कि पश्चिम बंगाल के जांच आयोग की कार्यवाही ‘‘अदालत की घोर अवमानना है।’’ बेंच ने कहा, ‘‘हम देखेंगे।’’

एनजीओ ग्लोबल विलेज फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट ने गुरुवार को बेंच के सामने इस मामले को तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया। उसने कहा था कि आयोग इसके बावजूद जांच कर रहा है कि हाई कोर्ट ने मामले में एक एक्सपर्ट कमेटी गठित कर दी है। NGO ने कहा कि राज्य सरकार ने हाई कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वह जांच आगे नहीं बढ़ाएगी।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस लोकुर और कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ज्योतिर्मय भट्टाचार्य जांच आयोग के सदस्य हैं। पश्चिम बंगाल सरकार ने पिछले महीने इस जांच आयोग के गठन की घोषणा की थी। एक इंटरनेशनल मीडिया संघ ने बताया था कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल करके निगरानी के लिए संभावित लोगों की लिस्ट में 300 से ज्यादा सत्यापित इंडियन मोबाइल फोन नंबर थे।