Article 370 Supreme Court Verdict Today Updates: अनुच्छेद 370 को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया। आर्टिकल 370 को निरस्त करने के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने आर्टिकल 370 लगाने को अस्थायी बताते हुए इस हटाने का बरकरार रखा। इसके साथ ही SC ने कहा कि सितंबर 2024 तक J-K में चुनाव कराये जायें। 2019 में इसके खिलाफ दायर 18 याचिकाओं पर 16 दिन सुनवाई के बाद 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत समेत पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमाणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी गिरी और अन्य कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए। वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, जफर शाह, दुष्यंत दवे और अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने अपनी दलीलें पेश कीं।
सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 370 को रद्द करने के फैसले से जुड़े पल-पल के अपडेट्स के लिए पढ़ें jansatta.com
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को निरस्त करने को सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध ठहराए जाने पर शिव सेना नेता उद्धव ठाकरे ने कहा, "हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। अनुच्छेद 370 खत्म करने के समय हमने इसका समर्थन किया था। उम्मीद करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का जो दूसरा आदेश है कि अगले सितंबर तक वहां चुनाव होने चाहिए, वह जल्द से जल्द हो जाएगा। वहां की जनता है उनको खुली हवा में मतदान करने का अवसर मिलेगा। चुनाव के पहले अगर PoK भी आ जाता है तो पूरे कश्मीर में चुनाव हो जाएगा और देश का एक हिस्सा बरकरार रहेगा।"
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) सांसद संजय राउत ने कहा, "मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। जब ये सदन में आया था तब हमने भी इसका समर्थन किया था कि ये देश एक है तो किसी और राज्य के लिए अलग से कानून की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने वहां चुनाव कराने की बात कही है, मैं उस फैसले का भी स्वागत करता हूं। वहां के लोगों को अपनी सरकार चुनने का पूरा अधिकार है।' सांसद ने कहा कि PM मोदी ने कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की गारंटी दी थी, वह कब होगा? ये गारंटी PM मोदी को देनी पड़ेगी। अगर आप 2024 तक PoK वापस ला सकते हैं तो लाइए, वो भी आपकी गारंटी थी। अखंड भारत का हमारा सपना साकार हो जाएगा।
अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, ''हमने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था क्योंकि हमें न्याय की उम्मीद थी। हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं, हमारी कोशिशें यहीं ख़त्म नहीं होंगी। हम फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे? हम कानूनी परामर्श के बाद इस पर फैसला करेंगे।
जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद गनी लोन ने आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा जताई है
डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी (DPAP) के अध्यक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, "एक उम्मीद थी क्योंकि कई चीज़ों में हमने कहा था कि जो कोर्ट कहेगा वह आखिरी फैसला होगा। मैं बुनियादी तौर पर कहता हूं कि इसे खत्म करना ग़लत था। इसे करते वक्त जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों से पूछा नहीं गया। हम अदालत के खिलाफ नहीं जा सकते लेकिन इस फैसले से हम, जम्मू-कश्मीर के लोगों को अफसोस है।"
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को निरस्त करने को सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध ठहराए जाने पर PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, "हिम्मत नहीं हारे, उम्मीद न छोड़े, जम्मू-कश्मीर ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला यह एक मुश्किल पड़ाव है, यह मंजिल नहीं है.। हमारे विरोधी चाहते हैं कि हम उम्मीद छोड़कर इस शिकस्त को स्वीकार करें। यह हमारी हार नहीं यह देश के धैर्य की हार है।"
अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा, ‘‘कोर्ट का जो कुछ भी फ़ैसला है हम चाहते हैं कि कश्मीर के साथ भी कोई नाइंसाफ़ी नहीं होनी चाहिए। जैसा की अन्य राज्यों के साथ जो कानून लागू है वह उसके साथ भी लागू रहे।"
सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने वाले राष्ट्रपति के आदेश की वैधता को बरकरार रखने पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने, "केंद्र को जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराना चाहिए और पूर्ण राज्य का दर्जा भी बहाल करना चाहिए।"
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को निरस्त करने को सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध ठहराए जाने पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, "निराश हूं लेकिन हताश नहीं हूं। संघर्ष जारी रहेगा।" वहीं, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का स्वागत करती है।
PM मोदी ने आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि आज के फैसले से उम्मीदें जागती हैं। पीएम ने X पर लिखा कि आज का फैसला सिर्फ कानूनी फैसला नहीं है; यह आशा की किरण है, उज्जवल भविष्य का वादा है और एक मजबूत, अधिक एकजुट भारत के निर्माण के हमारे सामूहिक संकल्प का प्रमाण है।
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है, जम्मू-कश्मीर के लोग इससे खुश नहीं हैं लेकिन हमें इसे स्वीकार करना होगा।
सीजेआई से सहमति जताते हुए जस्टिस एस के कौल ने फैसले में कहा कि अनुच्छेद 370 का उद्देश्य जम्मू कश्मीर को धीरे-धीरे अन्य भारतीय राज्यों के बराबर लाना था।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को सही ठहराने पर मिशन स्टेटहुड जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष सुनील डिंपल ने कहा,''हम विस्तृत फैसले का अध्ययन करेंगे और फिर इस पर जम्मू-कश्मीर के लोगों से मिलेंगे।''
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख के पुनर्गठन को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त होने की अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी बनी रहती है।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराये जाएं। जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा जल्द बहाल हो और चुनाव के लिए जल्द कदम उठाए जायें।
कश्मीर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए समूचे जम्मू-कश्मीर में कड़ी निगरानी की जा रही है। अधिकारियों ने कहा कि श्रीनगर शहर और उसके आसपास जांच चौकियां स्थापित की गई हैं और वाहनों, लोगों की तलाशी ली जा रही है। कश्मीर के अन्य जिलों में भी कुछ स्थानों पर जांच चौकियां स्थापित की गई हैं। अधिकारियों ने बताया कि घाटी में कहीं भी लोगों की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं है। अधिकारियों में से एक ने कहा, ‘‘जनजीवन सामान्य है। दुकानें और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान सामान्य दिनों की तरह सुबह खुले। कहीं भी कोई प्रतिबंध नहीं है।’’ अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां स्थिति पर कड़ी नजर रख रही हैं और शांति भंग करने की कोशिश से सख्ती से निपटा जाएगा। साइबर पुलिस, कश्मीर ने सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को सलाह दी है कि वे सोशल मीडिया मंचों का जिम्मेदारी से उपयोग करें और अफवाहें, फर्जी खबर, नफरत भरे भाषण या आपत्तिजनक, हिंसक और अपमानजनक सामग्री साझा करने से बचें। अधिकारियों ने कहा कि एहतियात के तौर पर सोमवार को किसी भी काफिले की आवाजाही की अनुमति नहीं दी जाएगी।
सीजेआई ने कहा कि राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की ओर से केंद्र द्वारा लिए गए हर फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती है। उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं की उन दलीलों को खारिज कर दिया कि राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र द्वारा कोई अपरिवर्तनीय कार्रवाई नहीं की जा सकती है। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति की घोषणा की वैधता पर फैसला देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने इसे चुनौती नहीं दी है।
SC ने कहा कि राष्ट्रपति के पास आर्टिकल 370 खत्म करने का अधिकार। केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल उचित नहीं। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगस्त 2019 का फैसला बना रहेगा। सीजेआई ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य के संबंध संविधान में स्पष्ट हैं।
CJI ने कहा कि प्रक्रिया पर बात हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विलय केबाद जम्मू-कश्मीर संप्रभु राज्य नहीं बल्कि भारत का अभिन्न अंग। अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। सीजेआई ने यह भी कहा कि विलय के साथ J-K ने संप्रभुता छोड़ी है। उन्होंने कहा कि हर फैसला कानूनी चुनौती के अधीन है। जम्मू-कश्मीर भारत के संविधान के अधीन है।
आर्टिकल 370 पर फैसला पढ़ते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि इतने साल बाद वैधता पर बहस प्रासंगिक नहीं है। पीठ ने राष्ट्रपति शासन की वैधता पर फैसला देने से इनकार किया। पांच जजों के तीन अलग-अलग फैसले हैं।
आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को नजरबंद किए जाने की खबरों पर जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने कहा, "यह पूरी तरह से निराधार है। न तो किसी को नजरबंद किया गया है और न ही किसी को गिरफ्तार किया गया है।"
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाना शुरू कर दिया है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ना शुरू किया।
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने पत्रकारों को नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के गुपकर स्थित आवास के पास एकत्र होने की अनुमति नहीं दी। गुपकर रोड के प्रवेश स्थानों पर पुलिस कर्मियों का एक दल तैनात किया गया है और पत्रकारों को नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं के आवास के आसपास जाने की अनुमति नहीं है।
सुनवाई के दौरान वकीलों ने 5 अगस्त 2019 को केंद्र के आर्टिकल 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले की संवैधानिक वैधता, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की वैधता, राज्यपाल और राष्ट्रपति शासन को चुनौती और राष्ट्रपति शासन के विस्तार सहित विभिन्न मुद्दों पर बहस की।