सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के पूर्व ऑफिसर संजीव चतुर्वेदी की उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमति जताई जिसमें उन्होंने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में केंद्रीय मंत्रियों के भ्रष्टाचार की जानकारी मांगी है। भ्रष्टाचार पर सरकार की नाक में दम करने वाले चतुर्वेदी ने अपनी याचिका में राइट टू इन्फॉर्मेशन (आरटीआई) के तहत जानकारी मांगी है कि 2014 से 2017 के दौरान पीएमओ को मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की कितनी शिकायतें म‍िलीं और उन पर क्‍या ऐक्शन ल‍िया गया। 2002 बैच के अधिकारी चतुर्वेदी ने यह अर्जी अगस्त 2017 में पीएमओ में दी थी।

याचिका में इन शिकायतों का आरटीआई कानून के तहत खुलासा करने की अपील की गई है। यही नहीं याचिका में पीएमओ से 2014 के बाद विदेशों से कितना काला धन लाया गया और कितना आम जनता के बीच बांटा गया इसकी जानकारी मांगी गई है।

न्यायमूर्ति नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मालूम हो कि इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व आईएफएस अधिकारी को ये जानकार‍ियां द‍िए जाने के खिलाफ आदेश सुनाया था।

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कई घपलों का भंडाफोड़ कराने वाले अधिकारी संजीव चतुर्वेदी का कहना है कि कोर्ट ने चीफ इन्फॉर्मेशन कमीशन (सीआईसी) के आदेश को बरकरार रखा था जो कि पीएमओ के पक्ष में था। उन्होंने कहा है कि केंद्रीय मंत्री जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिध हैं ऐसे में पीएमओ को मंत्रियों के खिलाफ मिली भ्रष्टाचार की जानकारियों के बारे में जाननेे का पूरा अधिकार है।

वहीं पीएमओ ने अक्टूबर 2017 में अपने जवाब में कहा था कि यह सूचना ‘व्यापक और अस्पष्ट’ है और उसने ऐसी सूचना साझा करने से इनकार करने संबंधी सीआईसी के इससे पहले के एक आदेश का भी हवाला दिया।

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