सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोवैक्सीन लगा चुके लोगों को कोविशील्ड लगाने की इजाजत देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बैगर डेटा देखे हुए सिर्फ विदेश यात्रा के लिए कोविशील्ड लगाने की अनुमति नहीं दे सकते हैं। साथ ही कोर्ट ने कहा कि वह ऐसा निर्देश देकर लोगों की जान से नहीं खिलवाड़ नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि हम दीवाली के बाद इस याचिका पर विचार करेंगे।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। जिसमें कहा गया था कि कोवैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी नहीं मिली है और इसे लगवा चुके लोगों को विदेश यात्रा की अनुमति मिलने में कठिनाई हो रही है। इसलिए कोवैक्सीन लगा चुके लोगों को फिर से कोविशील्ड टीका लगाने की अनुमति मिलनि चाहिए।
इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न की पीठ ने कहा कि अदालत के पास इस बारे में ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है कि लोगों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। हम नहीं जानते कि इसकी क्या जटिलताएं होंगी। इसलिए वह केंद्र को इसके बारे में निर्देश नहीं दे सकती कि वह कोवैक्सीन की पूरी खुराक लेने के बाद अब लोगों को फिर से कोविशील्ड का टीका लगाए।
पीठ ने कहा कि हम केंद्र को दोबारा टीका लगाने का निर्देश देकर लोगों की जान से खिलवाड़ नहीं कर सकते। हमारे पास कोई आंकड़ा नहीं है। हमने अखबारों में पढ़ा है कि भारत बायोटेक ने मंजूरी के लिए डब्ल्यूएचओ के पास एक अर्जी दी है। इसलिए हमें उसके जवाब की प्रतीक्षा करनी चाहिए। अगर डब्ल्यूएचओ से मंजूरी मिल जाती है तो कोई परेशानी नहीं होगी। हम इस विषय पर दिवाली की छुट्टी के बाद विचार करेंगे।
वहीं याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता कार्तिक सेठ ने दलील दी कि कुछ छात्र और लोग विदेश जाने को इच्छुक हैं लेकिन डब्ल्यूएचओ से कोवैक्सीन को मंजूरी नहीं मिलने के कारण इसकी अनुमति नहीं दी जा रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में कोवैक्सीन टीका लगवा चुका व्यक्ति कोविशील्ड लगवाने के लिए कोविन पोर्टल पर अपना पंजीकरण नहीं करा सकता और इसलिए इस मामले में केंद्र को निर्देश दिया जाना चाहिए। इसपर पीठ ने साफ़ कहा कि हम बगैर किसी डेटा के दूसरा टीका लगाने का निर्देश नहीं दे सकते। हम आपकी चिंता समझ रहे हैं लेकिन डब्ल्यूएचओ के जवाब का इंतजार करें।
बता दें कि 2 नवंबर को होने वाली बैठक में यह फैसला लिया जाएगा कि कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ अप्रूवल दिया जाना है या नहीं। 2 नवंबर को टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप की होने वाली बैठक में इसका फैसला किया जाएगा। इससे पहले 26 अक्टूबर को हुई बैठक में भारत बायोटेक की तरफ से स्पष्टीकरण देने को कहा गया था। अप्रैल माह में ही भारत बायोटेक ने वैक्सीन के अप्रूवल की मंजूरी दी थी। (भाषा इनपुट्स के साथ)