सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि मूल अधिकार प्रत्‍येक नागरिकों का हक है। मंगलवार को कोर्ट ने यौन कर्मियों के लिए मतदाता पहचान पत्र, आधार और राशन कार्ड जारी करने के आदेश दिया है और कहा कि केंद्र, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में यौन कर्मियों के पहचान पत्र जारी होना चाहिए। इतना ही नहीं कोर्ट ने राशन देने का भी निर्देश जारी किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गैर सरकारी संगठन दरबार महिला समन्वय समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया है। याचिका में कहा गया है कोरोना महामारी के दौरान यौन कर्मियों को समस्‍याओं का सामना करना पड़ा था, जिसे लेकर याचिका में इन बातों को उठाया गया। इससे पहले कोर्ट ने पिछले साल 29 सितंबर को केंद्र तथा अन्य को उनसे पहचान सबूत मांगे बगैर उन्हें राशन मुहैया करने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने चार हफ्ते के अंदर मांगा रिपोर्ट
पीठ ने कहा कि यौनकर्मियों को राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड जारी करने के बारे में स्थिति रिपोर्ट चार हफ्ते के अंदर दे दी जाए। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आदेश की प्रति राज्य और जिला विधिक सेवाएं प्राधिकारों को आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजी जाए। साथ ही सरकार को विभिन्न आईडी कार्ड बनाते समय यौनकर्मियों के नाम व उनकी पहचान गोपनीय रखने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जितना जल्‍द हो सके रिपोर्ट दी जाए।

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पहले कोर्ट ने राशन कार्ड जारी करने का दिया था निर्देश
बता दें कि न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न ने इसे लेकर नाखुशी प्रकट की कि यौनकर्मियों को राशन मुहैया करने का निर्देश 2011 में जारी किया गया था, लेकिन उसे लागू किया जाना बाकी है। पीठ ने कहा, राज्य सरकारों व केंद्रशासित प्रदेशों को करीब एक दशक पहले राशन कार्ड एवं पहचान पत्र जारी करने का निर्देश दिया गया था। इसके लिए कोई कारण नहीं है कि अब तक वे निर्देश क्यों नहीं लागू किए गए।