दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण की गंभीर समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। बुधवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को पराली जलाने के मामलों में कार्रवाई न करने पर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा- “आपके आंकड़े पल-पल बदल रहे हैं। आप बताएं कि प्रदूषण को रोकने के लिए आपने क्या किया।” इस मामले पर सुनवाई कर रही जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने दोनों राज्यों के मुख्य सचिव कोर्ट में पेश हुए।

AG को गलत जानकारी देने पर कोर्ट नाराज. कार्रवाई की दी चेतावनी

कोर्ट ने कहा कि यदि सरकारें कानून लागू करने में गंभीर हैं, तो कम से कम एक मुकदमा तो दर्ज होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के मुख्य सचिव से पूछा कि 1080 उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बावजूद आपने केवल 473 लोगों से मामूली जुर्माना वसूला। बाकी उल्लंघनकर्ताओं को आप बख्श रहे हैं, जो गलत संदेश दे रहा है कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के मुख्य सचिव से पूछा कि आपने एडवोकेट जनरल को गलत जानकारी क्यों दी? यह किसके कहने पर हुआ है? हम आपके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई कर सकते हैं। किस अधिकारी के कहने पर एडवोकेट जनरल को यह जानकारी दी गई? हर कोई इस मामले को हल्के में ले रहा है। हम सख्त कार्रवाई करेंगे।

हरियाणा के मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य में पराली जलाने की 400 घटनाएं हुईं और 32 एफआईआर दर्ज की गईं। इस पर कोर्ट ने कहा कि राज्य चुनिंदा लोगों से मुआवजा वसूल रहा है और एफआईआर भी बहुत कम दर्ज की जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई कि कुछ लोगों पर एफआईआर दर्ज की जा रही है जबकि अन्य पर सिर्फ जुर्माना लगाया जा रहा है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि किसानों के लिए पराली के निपटारे को लेकर क्या कदम उठाए गए हैं। मुख्य सचिव ने बताया कि करीब 1 लाख मशीनें दी गई हैं, जिससे आग लगने की घटनाओं में कमी आई है।

जस्टिस अभय ओक ने कहा कि केंद्र सरकार ने कोई सिस्टम नहीं बनाया है। पर्यावरण संरक्षण कानून अब प्रभावहीन हो चुका है। धारा 15 में बदलाव करके दंड की जगह जुर्माना लगा दिया गया है, लेकिन इस प्रक्रिया का पालन नहीं हो रहा। केंद्र सरकार ने कहा कि वे दस दिनों के भीतर धारा 15 को लागू कर देंगे, जिसमें जुर्माने से लेकर 5 साल की सजा का प्रावधान है।

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि इस मामले में हरियाणा और पंजाब के पर्यावरण सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्होंने जवाब भी दिए हैं। इस पर जस्टिस ओक ने कहा कि यह चिंताजनक है। कानून आपको मुकदमा चलाने की इजाजत देता है, लेकिन आप सिर्फ नोटिस ही जारी कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र और पंजाब तथा हरियाणा राज्यों को याद दिलाया जाए कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहना नागरिकों का मौलिक अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये धारा 21 के तहत मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है।

वायु प्रदूषण के मामले पर दिवाली के बाद सुनवाई करने की बात कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह दिल्ली में परिवहन से होने वाले प्रदूषण, शहर में भारी ट्रकों के प्रवेश और खुले में कूड़ा जलाने के मुद्दों पर विचार करेगा।