उच्चतम न्यायालय ने महात्मा गांधी को ‘भारत रत्न’ देने को लेकर दायर जनहित याचिका पर विचार करने से शुक्रवार (17 जनवरी) को इंकार कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि देश की जनता राष्ट्रपिता को किसी औपचारिक सम्मान से परे उच्च सम्मान देती है। मामले में प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने याचिकाकर्ता अनिल दत्ता शर्मा से कहा कि वह इस संबंध में केन्द्र सरकार को अपना प्रतिवेदन दें।
पीठ ने क्या कहाः मामले में पीठ ने कहा, ‘महात्मा गांधी राष्ट्रपिता हैं और जनता उन्हें किसी औपचारिक सम्मान से भी ज्यादा उच्च स्थान पर रखती है।’ पीठ ने यह भी कहा कि राष्ट्रपिता को भारत रत्न से सम्मानित करने का सरकार को निर्देश देने का मुद्दा ‘न्याययोग्य विषय’ नहीं है। हालांकि, पीठ ने कहा कि वह महात्मा गांधी को आधिकारिक अलंकार से सम्मानित करने के लिए याचिकाकर्ता की भावनाओं से सहमत है।
Hindi News Live Hindi Samachar 17 January 2020: पढ़ें आज की बड़ी खबरें
‘आधिकारिक अलंकार’ से गांधी जी हो सम्मानित- उच्चतम न्यायालयः पीठ ने इसके साथ ही याचिका का निबटारा करते हुए कहा, ‘हम आपको इस संबंध में केन्द्र को रिपोर्ट देने की अनुमति देंगे।’ बता दें कि शर्मा ने अपनी याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया था कि महात्मा गांधी के राष्ट्र के प्रति योगदान के लिए उन्हें ‘आधिकारिक अलंकार’ से सम्मानित करने का सरकार को निर्देश दिया जाए।
1954 से शुरु हुआ था भारत रत्न सम्मानः भारत रत्न सम्मान साल 1954 से दिया जा रहा है। सबसे पहले 1954 में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। इस सूची में समाज के हर क्षेत्र के लोग शामिल हैं। बता दें कि पिछले साल तीन महान हस्तियों को यह सम्मान दिया गया है। इन महान हस्तियों में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, गीतकार भूपेन हजारिका और समाजसेवी नानाजी देशमुख शामिल हैं।