सुप्रीम कोर्ट में मनी लांड्रिंग के केस में बहस के दौरान सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने सीलबंद लिफाफे में पेश की जाने वाली रिपोर्ट को गलत बताते हुए कहा कि सीजेआई चंद्रचूड़ ने इसे ठुकराकर सही फैसला किया। ये कवायद किसी भी नजरिये से ठीक नहीं है। सिब्बल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार देश के वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम से जुड़े मनी लांड्रिंग के केस में पहली बार सीलबंद लिफाफे में ईडी की रिपोर्ट स्वीकार करने से इनकार किया था। ये परंपरा तभी से पड़ी। सीजेआई चंद्रचूड़ का ताजा फैसला हर तरह से सराहनीय है। सिब्बल ने बताया कि पी चिदंबरम के मामले में वो खुद सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे थे। तब उन्होंने सीलबंद रिपोर्ट को पूरी तरह से गलत बताते हुए कोर्ट से इसे खारिज करने की मांग की थी।

जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस रामासुब्रमण्यम की बेंच के सामने तमिलनाडु के कैश फॉर जॉब स्कैम में सिब्बल अपनी दलीलें पेश कर रहे थे। इस मामले में तमिलनाडु के वी सेंथिल बालाजी और अन्य को आरोपी बनाया गया है। उन पर आरोप है कि स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन में नौकरी दिलाने के नाम पर रिश्वत ली गई। सिब्बल ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट से इसमें दखल देने की मांग की।

संघीय ढांचे के खिलाफ है 2002 का मनी लांड्रिंग एक्ट

कपिल सिब्बल ने 2002 के मनी लांड्रिंग एक्ट के गलत करार देते हुए कहा कि ये न केवल न्याय बल्कि देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है। ईडी पुलिस की तरह से काम कर रही है। किसी भी मामले में केस दर्ज होता है और ईडी मनी लांड्रिंग के आरोप के तहत एक्टिव हो जाती है। अपराध कहीं पर भी हुआ हो। उसका कनेक्शन दूसरी जगह से जोड़कर ईडी रेड मारती है और प्रॉपर्टी अटैच करने लग जाती है। सिब्बल का कहना था कि ईडी कोर्ट की तरह से काम करती है। वो किसी को समन भेजती है तो ये पता नहीं चलता कि उसे आरोपी के तौर पर बुलाया गया है या फिर गवाह के तौर पर।

सिब्बल ने कहा कि अगर मैंने किसी को रिश्वत दी तो ये एक अपराध है। इसमें मनी लांड्रिंग जैसी कोई चीज नहीं। मनी लांड्रिंग तब शुरू होती है जब उस पैसे से कोई दूसरी चीज (सोना या जमीन) खरीदी जाती है। सिब्बल का कहना था कि सीबीआई को किसी केस में जांच करने से पहले तमाम तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना होता है। लेकिन ईडी पर ये बंदिशें लागू नहीं होतीं। इसी वजह से केंद्रीय एजेंसी बेलगाम हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच के फैसले पर विचार की जरूरत

विजय मदन लाल चौधरी के केस में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच के फैसले को उन्होंने गलत करार देते हुए कहा कि ईडी के मसले पर और बड़ी बेंच को विचार करने की जरूरत है। उस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश महेश्वरी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच ने मनी लांड्रिंग एक्ट 2002 के प्रावधानों को सही मानते हुए कहा था कि ईडी को अरेस्ट, रेड और प्रापर्टी अटैच करने का पूरा अधिकार है।