सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (27 जनवरी, 2020) को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनपीआर प्रक्रिया को चुनौती देने वाली नई याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। हालांकि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इन प्रक्रियाओं पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही सभी नई याचिकाओं को सीएए की अन्य याचिकाओं के साथ सूचीबद्ध कर दिया। इनपर पांच सदस्यीय संविधान पीठ करीब तीन सप्ताह बाद सुनवाई करेगी।
नई एनपीआर याचिकाओं में कहा गया कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए इकट्ठा की जाने वाली जानकारी के दुरुपयोग से संरक्षण की कोई गारंटी नहीं है। एक याचिकाकर्ता ने कहा, ‘नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम, 2003 के तहत एकत्र की जा रही जानकारी, नियम, 2003 के नियमों के तहत दुरुपयोग से किसी भी सुरक्षा की गारंटी नहीं है।
याचिका में आगे कहा गया कि यह आधार या जनगणना के लिए इकट्ठा की गई जानकारी से काफी अलग है, जिसमें एकत्र की गई सूचना/डेटा को कानून के अनुसार सुरक्षा और सुरक्षा की गारंटी दी जाती है।’ याचिका में इस बात पर भी चिंता जताई गई कि इकट्टा किए डेटा के कारण नागरिकों की निगरानी हो सकती है।’ हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ता की सुनवाई पर एनपीआर प्रक्रिया में तुरंत रोक लगाने से इनकार कर दिया।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 22 जनवरी को स्पष्ट किया था कि वो केंद्र सरकार का पक्ष जाने बगैर कोई निर्णय नहीं लेगा। तब कोर्ट ने इस कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया, जिसकी सुनवाई पांच सदस्यीय संविधान पीठ करेगी।
जानना चाहिए कि मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर और न्यायाधीश संजीव खन्ना की पीठ ने इस कानून को चुनौती देने वाली दर्जनों याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी किया। हालांकि पीठ ने साफ किया त्रिपुरा और असम से संबंधित याचिकाओं पर अलग से विचार किया जाएगा क्योंकि इन राज्यों की नए नागरिकता कानून को लेकर परेशानी देश के अन्य हिस्सों से अलग है।