Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी अंकित तिवारी को अंतरिम जमानत दे दी। तिवारी को पिछले साल दिसंबर में तमिलनाडु सतर्कता और भ्रष्टाचार विरोधी निदेशालय (DVAC) ने रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था।

जस्टिस सूर्यकात और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ जमानत की शर्त में अंकित तिवारी को निर्देश दिया कि वह आधिकारिक अनुमति के बिना राज्य नहीं छोड़ेंगे और ऐसा करने पर उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करना होगा। इसके बाद कोर्ट ने तिवारी के खिलाफ डीवीएसी के रिश्वत मामले से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए उन्हें अंतरिम राहत दी।

मद्रास हाई कोर्ट द्वारा नियमित जमानत और वैधानिक जमानत के लिए उनके आवेदनों को खारिज करने को चुनौती देने वाली तिवारी की याचिकाओं के अलावा, मनी लॉन्ड्रिंग मामलों की जांच से संबंधित एफआईआर साझा करने में तमिलनाडु सरकार द्वारा असहयोग का आरोप लगाते हुए ईडी द्वारा दायर याचिका भी कोर्ट के समक्ष लिस्टेड की गई थी।

तिवारी को पिछले साल डीवीएसी ने कथित तौर पर 20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने के बाद गिरफ्तार किया था। शीर्ष अदालत ने पहले तिवारी के खिलाफ डीवीएसी जांच पर रोक लगा दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले सुझाव दिया था कि एक न्यायिक निकाय उन मामलों की निगरानी कर सकता है जिनमें राज्य एजेंसियों के साथ-साथ ईडी और सीबीआई जैसे केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच की मांग की जाती है।

इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को लेकर सख्त टिप्पणी की थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि ऐसे मामलों से निपटने के दौरान राज्य जांच एजेंसियों द्वारा पक्षपात या केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा “प्रतिशोध” की आशंकाओं से निपटने के लिए दिशानिर्देश दिए जा सकते हैं।
कोर्ट को बताया गया कि ईडी ने तमिलनाडु सरकार के खिलाफ अपने मामले में जवाब दाखिल नहीं किया है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एसवी राजू ने जवाब दिया कि इसे प्रस्तुत किया जाएगा।

दलील के बाद कोर्ट ने इस उद्देश्य के लिए दो सप्ताह का समय दिया। कोर्ट ने डीवीएसी को नियमित जमानत के लिए तिवारी की याचिका पर दो सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को भी कहा।