केरल में एक पटाखा भरा अनन्नास खाने से एक गर्भवती हथिनी की मौत हो गई और तुरंत कुछ राजनेता इस मुद्दे को सांप्रदायिक रूप देने की कोशिश में कूद पड़े, जिस तरह कुछ लोगों ने तबलीगी जमात को दोषी ठहराते हुए कोरोना महामारी को सांप्रदायिक रूप देने की कोशिश की थी। चूंकि दक्षिण भारत में अक्सर हिंदू मंदिरों में हाथियों का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए उन्हें मारना मुसलमानों के हिंदू विरोधी कृत्य के रूप में चित्रित किया जा रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद मेनका गांधी ने कई टीवी साक्षात्कारों में अप्रत्यक्ष रूप से मुसलमानों को दोषी ठहराया, उन्होंने कथित रूप से कहा कि “मलप्पुरम (जो केरल में एकमात्र मुस्लिम बहुमत वाला जिला है) अपनी आपराधिक गतिविधियों, विशेष रूप से जानवरों के प्रति, के लिए जाना जाता है।”
उन्होंने कहा कि केरल में हर हफ्ते एक हाथी की पिटाई के कारण मौत हो जाती है और उन्होंने दोषियों की गिरफ्तारी, केरल के संबंधित मंत्री के त्यागपत्र और वन सचिव को बर्खास्त करने की मांग की। उन्होंने कहा कि मलप्पुरम के लोग हमेशा समस्याएं पैदा कर रहे थे। इसमें पीछे न रहने के लिए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि केंद्र सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है और दोषियों को पकड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। अन्य राजनेता, विराट कोहली, रतन टाटा और पशु कार्यकर्ताओं जैसी हस्तियां भी विलाप कर रहे हैं मानो आसमान गिर गया हो।
लेकिन सच्चाई क्या है? सबसे पहले, घटना पलक्कड़ जिले में हुई, न कि मलप्पुरम में। दूसरे, यह इसलिए हुआ क्योंकि जंगली सूअर अक्सर कृषि फसलों को नष्ट कर देते हैं, इसलिए इन पटाखों का उपयोग केरल के कुछ हिस्सों में किसानों द्वारा ऐसे जंगली सूअरों को मारने के लिए किया जाता है। हाथी स्पष्ट रूप से गलती से मारा गया था, जानबूझकर नहीं।
इसके बावजूद, कुछ लोग इस प्रकरण को सांप्रदायिक मोड़ देने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा करने का कारण स्पष्ट है। भारतीय अर्थव्यवस्था गहरी मंदी में है, कई उद्योगों ने या तो उत्पादन बंद कर दिया है या उत्पादन में भारी कटौती की है, जिससे बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर दर्ज की गई है। कोरोना लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था को और गर्त में ढकेल दिया है, और केंद्र सरकार को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि क्या करना है।
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इससे बड़े पैमाने पर सार्वजनिक विरोध और प्रदर्शनों का होना अवश्यंभावी है, और इनसे निपटने के जैसा कि हिटलर ने यहूदियों को बलि का बकरा बनाया था। जिसे सभी समस्याओं के लिए दोषी ठहराया जा सकता था। वैसे ही भारत में यह बलि का बकरा मुसलमान हैं। इसलिए, भारत में मुसलमानों को हर बुराई के लिए दोषी ठहराया जा रहा है।
अब समय आ गया है जब भारतीय लोगों को सच्चाई को देखना चाहिए और उन तत्वों को बेनकाब करना चाहिए जो हमारे लोगों को राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक तर्ज पर विभाजित करने का प्रयास कर रहे हैं। भारत कई धर्मों, जातियों, भाषाई और जातीय समूहों वाला बड़ी विविधताओं का देश है।
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हमारे लोगों में एकता, और एक शक्तिशाली एकजुट लोगों का संघर्ष ही एकमात्र समृद्धि का मार्ग है। अपने निहित स्वार्थ के लिए नापाक तत्वों द्वारा उकसाकर धार्मिक और अन्य प्रकार की कलह, आगे आने वाली आपदा का पक्का रास्ता है।
(लेखक सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज हैं और यहां व्यक्त विचार उनके निजी हैं।)