भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता शाहनवाज़ हुसैन (Shahnawaz Hussain) को दुष्कर्म के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ा झटका लगा है। जिसमें उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें 2018 के कथित दुष्कर्म मामले में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा गया था। जस्टिस एस रवींद्र भट और दीपांकर दत्ता की पीठ ने शाहनवाज़ हुसैन द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में “एक निष्पक्ष जांच हो और अगर वाकई कुछ नहीं है तो आप बरी हो जाएंगे”

Shahnawaz Hussain की ओर से पेश वकीलों ने क्या कहा ?

शाहनवाज़ हुसैन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने जस्टिस एस रवींद्र भट और दीपांकर दत्ता की पीठ को बताया कि एक महिला द्वारा शाहनवाज़ हुसैन के खिलाफ कई शिकायतें दायर की गयी थी जीमकी पुलिस द्वारा जांच की गई है और कुछ भी नहीं मिला है । यह मामला लगातार नहीं चल सकता है।

हाईकोर्ट ने पिछले साल 17 अगस्त को शाहनवाज़ हुसैन की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें दिल्ली पुलिस को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अदालत के सामने इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि शिकायत “फर्जी” और “दुर्भावनापूर्ण” थी।

क्या था पूरा मामला

दिल्ली हाईकोर्ट ने अप्रैल 2018 में दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर इलाके में एक फार्महाउस में बलात्कार की एक महिला की शिकायत पर शाहनवाज़ हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति आशा मेनन ने भी दिल्ली पुलिस पर प्राथमिकी दर्ज करने और जांच तंत्र को चालू करने में लापरवाही दिखाने पर सवाल उठाया था। न्यायाधीश ने अपने 17 अगस्त, 2022 के फैसले में पुलिस को अपनी जांच पूरी करने और तीन महीने के भीतर संबंधित ट्रायल कोर्ट के समक्ष एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था।

उच्च न्यायालय का निर्देश श्री हुसैन द्वारा 7 जुलाई, 2018 के खिलाफ दायर एक अपील को खारिज करते हुए आया, जिसमें नई दिल्ली में एक ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश में महिला द्वारा दायर शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था।

महिला ने 21 जून, 2018 को शाहनवाज़ हुसैन पर बलात्कार का आरोप लगाते हुए अपनी शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद ट्रायल कोर्ट ने एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) मांगी थी। हालांकि दिल्ली पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला कि जांच के अनुसार महिला द्वारा लगाए गए आरोप गलत पाए गए थे।