सुप्रीम कोर्ट अपना नया रोस्टर लेकर आया है। ये नया सिस्टम 3 जुलाई से कोर्ट की छुट्टियां खत्म होने के बाद लागू होगा। नई व्यवस्था में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के पास सबसे ज्यादा मामले सुनवाई के लिए होंगे। खास बात है कि जनहित याचिकाओं की सुनवाई पहली तीन बेंचों के हवाले की गई है। जबकि चंद्रचूड़ से पहले सीजेआई रहे यूयू ललित ने सभी 15 बेंचों के पास जनहित याचिकाओं को लिस्ट करने का नियम बनाया था।

नये मामलों की सुनवाई के लिए रोस्टर को सीजेआई के आदेश के तहत शीर्ष अदालत रजिस्ट्री की तरफ से अधिसूचित किया गया है। यह तीन जुलाई से तब लागू होगा जब शीर्ष अदालत गर्मी की छुट्टियों के बाद फिर से खुलेगी। नई व्यवस्था में नागरिकों के शीर्ष अदालत को लिखे गए पत्रों से बनी याचिकाओं और नई जनहित याचिकाओं (PIL) की सुनवाई सीजेआई और दो सबसे सीनियर जस्टिस करेंगे। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच को जनहित याचिकाओं की सुनवाई का जिम्मा सौंपा गया है।

सेना और चुनाव आय़ोग जैसे अहम मसले खुद देखेंगे सीजेआई

सीजेआई के नेतृत्व वाली बेंच अप्रत्यक्ष करों, सेवा मामलों, आपराधिक अपील, चुनाव याचिकाओं, कंपनी कानून, बंदी प्रत्यक्षीकरण मामलों और मध्यस्थता से संबंधित मामलों की सुनवाई करेगी। सीजेआई के पास सबसे ज्यादा मामले रहेंगे। संवैधानिक मसलों और न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति, सशस्त्र बलों, शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश से संबंधित मामलों को भी सीजेआई की बेंच निपटाएगी।

नए रोस्टर के मुताबिक 15 सीनियर जजों की बेंचों को मामलों का विषयवार आवंटन किया गया है। ये सारे तीन जुलाई से शीर्ष अदालत में बेंचों की अध्यक्षता करेंगे। अन्य 12 जस्टिस जो बेंचों की अध्यक्षता करेंगे उनमें जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट, जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस हिमा कोहली शामिल हैं।

2018 में तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा ने की थी रोस्टर सिस्टम की शुरुआत

गौरतलब है कि विषयवार रोस्टर सिस्टम की शुरुआत 2018 में तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा ने की थी। उस दौरान सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जस्टिस मीडिया के सामने आए थे और केसों के आवंटन को लेकर गंभीर आरोप सीजेआई पर लगाए गए थे। उसके बाद रोस्टर सिस्टम सामने आया था।