सुप्रीम कोर्ट ने अपने रजिस्ट्री विभाग से पूछा है कि उद्योगपति विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका को बीते तीन साल से कोर्ट के सामने सूचीबद्ध क्यों नहीं किया गया? विजय माल्या ने साल 2017 में अपने बच्चों को 40 मिलियन यूएस डॉलर ट्रांसफर करने के मामले में कोर्ट की अवमानना केस में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी।

जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका पर 16 जून को सुनवाई की और तीन साल बाद इस पुनर्विचार याचिका को सूचीबद्ध किए जाने के लिए रजिस्ट्री विभाग के सामने नाराजगी जाहिर करते हुए संबंधित अधिकारियों के बारे में जानकारी मांगी है।

16 जून को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “रिकॉर्ड जो हमारे सामने पेश किए गए हैं उनके मुताबिक, पुनर्विचार याचिका बीते तीन सालों में कोर्ट के सामने सूचीबद्ध नहीं की गई। इससे पहले कि हम पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करें, हमने रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि वह अब तक पुनर्विचार याचिका को लिस्ट नहीं किए जाने की वजह कोर्ट को बताए।”

सर्वोच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर रजिस्ट्री से दो हफ्ते में जवाब देने को कहा है। पीठ ने कहा है कि अदालत इस याचिका पर गुण-दोष के आधार पर विचार करेगी।

क्या है माल्या की पुनर्विचार याचिका?: बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने 4 करोड़ अमेरिकी डॉलर की रकम अपने बच्चों के खाते में ट्रांसफर करने के मामले में माल्या को अवमानना का दोषी ठहराया था। अदालत के इस आदेश पर शराब कारोबारी विजय माल्या ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी।

गौरतलब है कि एक वकील ने रजिस्ट्री पर मामले की लिस्टिंग को लेकर भेदभाव करने का आरोप लगाया था। जिसे पर सुप्रीम कोर्ट की एक दूसरी बेंच ने वकील को फटकार लगायी थी। पता चला है कि रजिस्ट्री ने उसी दिन माल्या की याचिका को लिस्टेड किया था।