Delhi Ordinance पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ा झटका दिया है। फैसला किया गया है कि इस मामले की सुनवाई संवैधानिक बेंच करेगी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ पांच जजों की बेंच का गठन करेंगे जो देखेगी कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ लाया गया आर्डिनेंस सही है या गलत।

दिल्ली के ब्यूरोक्रेट्स की ट्रांसफर पोस्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बेअसर करने के लिए केंद्र दिल्ली आर्डिनेंस लेकर आया था। इसे दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सीजेआई की बेंच केंद्र के फैसले को लेकर नाराज थी। लेकिन सॉलीसिटर जनरल ने जब कहा कि इस मामले की सुनवाई कुछ टाल दीजिए, क्योंकि सरकार 20 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में इससे जुड़ा एक बिल पेश करने जा रही है।

एसजी का कहना था कि उस बिल में दिल्ली आर्डिनेंस का सही तानाबाना पेश किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 20 जुलाई तक टाल दी थी। लेकिन गुरुवार को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला किया कि अपने आदेश के खिलाफ लाए गए आर्डिनेंस पर बड़ी बेंच में सुनवाई करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- एलजी केवल दिल्ली के प्रशासनिक हेड, असली बॉस सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में लैंड, लॉ एंड आर्डर और पुलिस के अलावा बाकी सारे मामले दिल्ली सरकार के हवाले कर दिए थे। सुप्रीम कोर्ट का अपने फैसले में कहना था कि उप राज्यपाल दिल्ली के प्रशासनिक हेड हो सकते हैं। लेकिन वो हर मामले में दिल्ली के मुखिया नहीं हैं। जहां पर असेंबली का काम शुरू होता है वहां एलजी दखल नहीं दे सकते।

नौकरशाहों की ट्रांसफर पोस्टिंग का मामला केजरीवाल सरकार के हवाले कर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर अफसरों पर दिल्ली सरकार का कोई कंट्रोल नहीं होगा तो वो बेलगाम हो जाएंगे। जबकि सरकार को ठीक से चलाने के लिए जरूरी है कि अफसरों पर चुनी हुई सरकार का कंट्रोल रहे। हालांकि केंद्र को ये फैसला रास नहीं आया और वो मई में आर्डिनेंस लेकर आ गया।

आर्डिनेंस को लेकर सीजेआई खासे नाराज दिखे। उनका सवाल था कि क्या इससे संविधान सका उल्लंघन नहीं हुआ है। क्या केंद्र को ऐसा करने की अनुमति दी जा सकती है। हालांकि पिछली सुनवाई में सीजेआई ने केवल इतना कहा था कि वो केस को संवैधानिक बेंच के पास भेज सकते हैं।