राज्यसभा में सोमवार को विपक्ष ने सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग करते हुए कहा कि वर्तमान संसदीय सत्र में उच्च सदन में अभी तक जो 14 विधेयक पारित किये गये हैं उनमें से किसी को भी स्थायी समिति या प्रवर समिति में नहीं भेजा गया है। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने भोजनावकाश के बाद बैठक शुरू होने पर यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि सदन के आज के एजेंडे में आरटीआई संशोधन विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिए रखा गया है। उन्होंने कहा कि उच्च सदन में इस सत्र में अभी तक जितने भी विधेयक पारित किए गए हैं, उनमें से किसी को भी स्थायी समिति या प्रवर समिति के पास संसदीय समीक्षा के लिए नहीं भेजा गया है।
उन्होंने कहा कि आरटीआई संशोधन विधेयक के बारे में विपक्ष के कई दलों का मानना है कि इसमें राज्यों के अधिकारों को कमतर किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में संघीय व्यवस्था है और हमारा दायित्व बनता है कि राज्य के अधिकारों को कम नहीं करने दिया जाए। आजाद ने कहा कि आरटीआई संशोधन विधेयक में राज्यों के कई अधिकार कम कर दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को हर हालत में प्रवर समिति के पास भेजा जाना चाहिए ताकि इसके सभी पक्षों पर विचार कर इसे मजबूती प्रदान की जा सके।
इधर, सत्ताधारी दल बीजेपी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने टाइम्स नाऊ से बातचीत में कहा कि कांग्रेस को कोई अधिकार नहीं है कि वो आरटीआई पर बात करें क्योंकि उसने इमरजेंसी लालू किया था। स्वामी ने कांग्रेस के उस दावे पर भी सवाल खड़े किए जिसमें कहा जा रहा था कि कांग्रेस ही RTI कानून की जनक है। स्वामी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आरटीआई कानून लाया गया था। उन्होंने कहा कि राज्य सभा में हमारे पास बहुमत है और इस बिल का पास करा लेंगे।
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन ने कहा कि इस सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सहयोग से 14 विधेयक पारित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि आरटीआई संशोधन विधेयक सहित सात ऐसे विधेयक हैं जिनको संसदीय समीक्षा के लिए प्रवर समिति में भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं के अधिकार संबंधी विधेयक और अन्तर राज्यीय नदियों को आपस में जोड़ने से संबंधित विधेयक सहित सात विधेयकों को प्रवर समिति में भेजा जाना चाहिए।
डेरेक ने सुझाव दिया कि बेहतर होगा कि सरकार आरटीआई संशोधन विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के लिए अपनी ओर से ही सदन में एक प्रस्ताव लाए जिसका पूरा विपक्ष समर्थन करेगा। इस पर नेता सदन थावरचंद गहलोत ने कहा कि सदन की कार्य नियमावली में इस समय लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक पर चर्चा कर उसे पारित किया जाना है। सदन में जब आरटीआई संशोधन विधेयक आये तब इस बारे में विचार किया जाना चाहिए।
Congress is no one to speak on RTI, they were behind the Emergency and they’re falsely claiming to be the author of RTI: @swamy39, BJP MP, on #RTIBillFaceoff. pic.twitter.com/HIeBw08DIi
— TIMES NOW (@TimesNow) July 24, 2019
संसदीय कार्य राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने भी कहा कि आज सदन में लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक पर चार घंटे चर्चा होनी है। ऐसे में आरटीआई संशोधन विधेयक पर आज चर्चा होने की संभावना नहीं है। भाजपा के भूपेन्द्र यादव ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार सहकारी संघवाद का वादा करके सत्ता में आयी है और यह हमारी प्रतिबद्धता है। उन्होंने बच्चों के अधिकार से जुड़े विधेयक पर चर्चा शुरू करवाने का अनुरोध किया।
उपसभापति हरिवंश ने इस मुद्दे पर व्यवस्था देते हुए कहा कि सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के लिए तीन प्रस्ताव भी दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि सदन जब इसे चर्चा के लिए लेगा तभी इस मुद्दे पर विचार किया जाएगा। सदन में इसके बाद लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक पर चर्चा शुरू हो गई।