चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर लंबे समय तक प्रधानमंत्री मोदी के प्रशासनिक कामों में हाथ बंटा चुके हैं। इतना ही नहीं साल 2014 में प्रधानमंत्री मोदी को मिली प्रचंड जीत के पीछे भी प्रशांत किशोर ने अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन लोकसभा चुनावों के थोड़े महीनों बाद ही प्रशांत किशोर ने नरेंद्र मोदी का साथ छोड़ दिया था। एक कार्यक्रम के दौरान जब प्रशांत किशोर से यह पूछा गया कि आपको नरेंद्र मोदी ने अपना सलाहकार क्यों बनाया था तो उन्होंने कहा था कि मैं संघ से नहीं आता हूं, लेकिन जो भी खूबी रही होगी वो मोदी जी में होगी, मुझमें नहीं।
दरअसल साल 2019 में समाचार वेबसाइट द लल्लनटॉप को दिए एक इंटरव्यू में जब पत्रकार सौरभ द्विवेदी ने उनसे सवाल पूछा कि आखिर आपको प्रधानमंत्री मोदी ने अपना सलाहकार क्यों बनाया। तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि ना तो मैं गुजरात का हूं, ना उनकी जाति का हूं और ना ही संघ से आता हूं। ज्यादातर ऐसे बैकग्राउंड की आवश्यकता होती है ताकि लोग आप पर विश्वास कर सकें।
आगे प्रशांत किशोर ने कहा कि मुझे पता नहीं, अगर कुछ खूबी है तो वो मोदी जी में रही होगी ना कि मुझमें, उन्होंने देखा कि इस लड़के में कुछ क्षमता होगी। मैं तो वही हूं, जो पहले था या जो आज हूं। हो सकता है कि मेरे आंकड़ों को समझने की शक्ति मोदी जी को पसंद आई होगी। हालांकि मुझे नहीं लगता कि इतने बड़े लोग डाटा देखकर अपने पास रखते हैं। उन्होंने कुछ देखा होगा और उन्हें पसंद आ गया होगा।
इस इंटरव्यू के दौरान प्रशांत किशोर ने नरेंद्र मोदी से अलग होने के पीछे के कारणों का भी जिक्र किया। प्रशांत किशोर ने कहा कि साल 2012 के आस पास नरेंद्र मोदी इस बात से सहमत थे कि सरकार में लैटरल एंट्री के कुछ पद होने चाहिए। 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मोदी जी की व्यस्तता बढ़ गई। वो लैटरल एंट्री पर फैसले लेने में समय लेना चाहते थे। आगे प्रशांत ने कहा “लेकिन मेरी दिक्कत यह है कि मैं बहुत ही इमपेशेंट आदमी हूं। मैं चाहता था कि इसको तुरंत किया जाए लेकिन पीएम मोदी पहले प्रशासनिक व्यवस्था को समझ लेना चाहते थे। इस वजह से मुझे यह लगा कि अगर आप इस काम को नहीं कर रहे हैं मुझे अपना रास्ता खुद तलाशना चाहिए।”
आगे प्रशांत किशोर ने कहा कि उसके बाद पहली बार पहली बार मैं नीतीश कुमार से नवंबर(2014) में मिला. उस समय बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी थे। नीतीश कुमार से मैं पवन वर्मा के घर पर मिला। चाहे आप इसे मंत्र कह लीजिए, पर एक ही मीटिंग में उन्होंने कहा कि आप साथ आ जाइए। और फिर मैं नीतीश कुमार के साथ चला गया। बता दें कि वर्तमान में प्रशांत किशोर नीतीश कुमार से भी अलग हो चुके हैं।