मुदस्सिर कुलू
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा आर्टिकल 370 को खत्म करने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों में बांटने की घोषणा के अभी चंद घंटे भी नहीं बीते थे। 5 अगस्त, 2019 की उस शाम जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक टीम श्रीनगर के एसडी कॉलोनी में रहने वाले मुस्ताक अहमद खुश्शू के घर में घुसी और उनके 22 वर्षीय बेटे आसिफ अहमद खुश्शू को घसीटते हुए पुलिस की गाड़ी में बैठा लिया।
आसिफ की मां जमरूदा कहती हैं, ‘जब हम लोग पुलिस स्टेशन गए तो वहां हमें बताया गया कि आसिफ को श्रीनगर के सेंट्रल जेल भेज दिया गया है। फिर वहां पहुंचने पर पता चला कि उसे (आसिफ को) आगरा जेल शिफ्ट कर दिया गया है’। 45 साल की जमरूदा जिस मकान में रहती हैं, उसे हाल ही में बनाया है और इसमें किचन के अलावा दो कमरे हैं। लेकिन बेटे के बगैर घर सूना पड़ा है।
तमाम बीमारियों से जूझ रहीं जमरूदा कहती हैं, ”मैं और मेरे पति पिछले साल अक्टूबर में बेटे से मिलने आगरा जेल गए थे। सिर्फ 20 मिनट की मुलाकात हुई। आने-जाने और रहने-खाने में 20 हजार रुपये खर्च हो गए। अब हमारे पास पैसे ही नहीं हैं, इसलिए तब से बेटे से मुलाकात नहीं हो पाई है’। वे आगे बताती हैं, ‘जनवरी में श्रीनगर का ही रहने वाला एक परिवार आगरा गया, जिसके परिजन भी वहां कैद हैं। वे लोग वहां से लौटने के बाद हमसे मिलने भी आए और बताया कि उनकी आसिफ से भी मुलाकात हुई। आसिफ ने संदेशा भिजवाया था कि उसके पास पैसे नहीं बचे हैं। साथ ही उसने कंबल और गर्म कपड़े भी मांगे थे’।
बेटे को आगरा से श्रीनगर शिफ्ट करने की गुजारिश: आसिफ का परिवार इन दिनों उससे मुलाकात के लिए लोगों से मदद मांग रहा है। साथ ही सरकार से उसे आगरा से श्नीनगर शिफ्ट करने की गुजारिश की है, ताकि कम से कम नियमित मुलाकात हो सके। आसिफ की मां जमरूदा कहती हैं, ”अब और इंतजार नहीं होता…मुझे बेटे से मिलना है। उसके बगैर नींद नहीं आती है”। उन्होंने कहा कि हमें आगरा आने-जाने और वहां रहने के लिए करीब 25 हजार रुपये की जरूरत है। कुछ लोगों ने मदद के लिए हाथ भी बढ़ाए हैं।

पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हुई है गिरफ्तारी: आसिफ के पिता मुश्ताक ने बताया कि उनके बेटे को साल 2016 में भी गिरफ्तार किया जा चुका है। वे कहते हैं, ‘उस वक्त तो सब सड़क पर थे। मेरा बेटा पत्थरबाजी में शामिल नहीं था, लेकिन तब भी उसे गिरफ्तार किया गया था’। बता दें कि जूते बेचकर गुजारा करने वाले आसिफ को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ‘पब्लिक सेफ्टी एक्ट’ के तहत कैद में रखा गया है।
ऐसे और भी कई मामले हैं: ये सिर्फ जमरूदा का दर्द नहीं है। सैकड़ों कश्मीरियों को घाटी से बाहर की जेलों में हिरासत में रखा गया है। श्रीनगर के मैसुमा इलाके में रहने वालीं अतीका बानो ऐसी ही एक और मां हैं, जिनका बेटा पिछले 6 महीनों से सलाखों के पीछे है। अतीका के पति का पहले ही देहांत हो चुका है और इन दिनों वे अकेले ही रहती हैं। उनके 30 वर्षीय बेटे फैसल मीर का व्यापार था और घर में कमाने वाला अकेला शख़्स था। फैसल को भी 5 अगस्त को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था और बाद में उत्तर प्रदेश की एक जेल में शिफ्ट कर दिया गया।
बीमारी से जूझ रहीं फैसल की मां अतीका रोते हुए कहती हैं, ‘हमारे लिए बेटे से मिलना मुश्किल है, क्योंकि हम कभी कश्मीर से बाहर गए ही नहीं हैं। मैंने 5 अगस्त से अपने बेटे को नहीं देखा है। पता नहीं वह कैसी हालत में है। मेरे लिए जीने का कोई दूसरा सहारा नहीं है, सिर्फ बेटे के लिए जिंदा हूं’। 5 अगस्त के वाकये को याद करते हुए वह कहती हैं, ‘मेरी तबीयत ठीक नहीं थी और बेटा बाहर दवा लेने गया था। हालांकि बाहर कर्फ्यू लगा था, इसलिये मैंने उसे जाने से रोका था, लेकिन वह नहीं माना। जब कई घंटों तक वह नहीं लौटा तो मुझे चिंता हुई। बाद में उसका एक दोस्त आया और बताया कि फैसल को पुलिस ले गई है’। अतीका ने भी फैसल को श्नीनगर शिफ्ट करने की अपील की है।
‘बेटे की गिरफ्तारी से परिवार पर संकट’: श्रीनगर के मेहजूर नगर इलाके का भी एक वाकया है। 6 अगस्त की शाम जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की एक टीम नजीर अहमद खान के घर में घुसी और उनके 22 साल के बेटे मोमिन नजीर को उठा लिया। कुछ दिनों तक उसे श्नीनगर सेंट्रल जेल में रखा और बाद में उत्तर प्रदेश की अंबेडकर नगर जेल में शिफ्ट कर दिया। नजीर अहमद खान भी अपनी खराब माली हालत के चलते बेटे से नहीं मिल पा रहे हैं।
पत्थरबाजी की घटना में अपने बेटे के शामिल होने से इनकार करते हुए नजीर कहते हैं, ‘मेरा बेटा राज मिस्त्री का काम करता था और घर में कमाने वाला वह अकेला व्यक्ति था। उसकी गिरफ्तारी के बाद पूरा परिवार बिखर गया है। परिवार पर संकट आ गया है। मुझे नहीं पता, वह किस हालत में है। मेरी इकलौती ख़्वाहिश उससे मिलने की है’। बता दें कि मोमिन की मां भी बीमार हैं और बेटे की गिरफ्तारी के बाद से रो-रोकर उनका बुरा हाल है।
पुलिस के डोजियर में क्या लिखा है?: गौरतलब है कि पुलिस के डोजियर में मोमिन को हिंसक प्रदर्शन के प्रमुख आयोजनकर्ताओं में से एक बताया गया है। डोजियर के मुताबिक राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता और राजबाग और आसपास के इलाके में शांति व्यवस्था में खलल डालने की वजह से मोमिन का नाम पुलिस रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया। डोजियर में यह भी कहा गया है कि मोमिन ने पत्थरबाजी कर कानून व्यवस्था में बाधा पैदा की। इसक घटना से ट्रैफिक जाम लगा और व्यापार में भी खलल पड़ा।
(मुदस्सिर कुलू श्रीनगर में स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

