उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत पर अब केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। स्टिंग आॅपरेशन में हरीश रावत को अपनी सरकार बचाने के लिए विधायकों और मंत्रियों की खरीद-फरोख्त करते दिखाया गया था। स्टिंग आॅपरेशन की सीबीआइ जांच शुरू होने से उत्तराखंड की राजनीति में उफान आ गया है। भाजपा ने जहां कांग्रेस को आडेÞ हाथों लिया है, वहीं कांग्रेस ने भाजपा और केंद्र सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया है।

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शनिवार कहा कि स्टिंग आॅपरेशन के मामले की जांच को बदले की भावना की कार्रवाई है। वे अपने मुख्यमंत्रित्व के कार्यकाल की पूरी जांच कराने को तैयार हैं। रावत ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह स्टिंग आॅपरेशन की सीडी में जिनके नामों का उल्लेख हुआ है, उन सबकी भी जांच करे। और जिसने स्टिंग आपरेशन किया है, उसके आचरण और संपत्तियों की भी जांच हो। रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस बागियों के नेता विजय बहुगुणा के बेटे साकेत बहुगुणा की भूमिका की जांच कराने की मांग की है। रावत ने साकेत बहुगुणा पर भी कई सवाल उठाए। रावत ने फिर कहा कि स्टिंग करने वाला शख्स फर्जी है। हरीश रावत ने अपने करीबी पूर्व मंत्रियों इंदिरा ह्रदयेश, दिनेश अग्रवाल, प्रीतम सिंह तथा अन्य कई पूर्व मंत्रियों के साथ मौजूदा राजनीतिक माहौल को लेकर गंभीर मंत्रणा की। और भाजपा और केंद्र सरकार के खिलाफ आगे की रणनीति बनाने पर विचार किया।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने सीडी कांड की सीबीआइ से जांच कराने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि हमने तो राज्यपाल से पहले ही इस मामले की सीबीआइ जांच कराने की मांग की थी। सीबीआइ जांच से इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस बागियों के नेता हरक सिंह रावत ने राज्यपाल को चिट्ठी भेज कर सीडी कांड की सीबीआइ जांच कराने की मांग की थी। इस पत्र के आधार पर ही राज्य सरकार ने इस मामले की सीबीआइ जांच कराने का फैसला लिया। राजभवन से हामी के बाद उत्तराखंड के प्रमुख सचिव गृह उमाकांत पंवार ने बीती दो अप्रैल को सीडी कांड की जांच के लिए केंद्र को सिफारिशी चिट्ठी भेजी थी जिसे सीबीआइ ने मंजूर कर लिया।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि इस सीडी में जो सच्चाई दर्ज है। उसमें साफ-साफ हरीश रावत को विधायकों को पांच करोड़ रुपए में खरीदने और मंत्रियों को खाने कमाने के लिए अलग से पैकेज देने की चर्चा है। इससे प्रदेश को पूरे देश में शर्मसार होना पड़ा। हरीश रावत के मीडिया सलाहकार सुरेन्द्र अग्रवाल ने आरोप लगाया कि सूबे में सत्ता कब्जाने के लिए भाजपा किसी भी तरह का कदम उठा सकती है। और सीबीआइ का भी इस्तेमाल कर सकती है। उधर भाजपा के मीडिया सलाहकार मुन्ना सिंह चौहान ने स्टिंग आपरेशन की सीबीआइ जांच कराने के राज्यपाल के फैसले को निष्पक्ष और न्यायोजित बताया। अब रावत के जमाने में हुए आबकारी घोटाले, अवैध खनन घाटालों सहित कई घोटालों की परतें जनता के सामने उतरेगी।

इस मामले में हरीश रावत के खिलाफ सीबीआइ ने प्राथमिकी रिपोर्ट दर्ज कर दी है। प्राथमिकी रिपोर्ट के आधार पर यदि सीबीआइ को इस मामले में ठोस सबूत मिले तो आगे की कार्यवाही के लिए एफआइआर दर्ज की जा सकती है। माना जा रहा है कि सीबीआइ ने स्टिंग आपरेशन करने वाले उमेश कुमार से दिल्ली में इस बाबत लंबी पूछताछ की। दरअसल 23 मार्च को देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट में यह स्टिंग आॅपरेशन हुआ था और 26 अप्रैल को देश के कुछ खबरिया चैनलों ने इस स्टिंग आपरेशन का खुलासा किया था। बताते हैं कि केंद्र सरकार ने इस स्टिंग आॅपरेशन की फोरेंसिक जांच करा कर इस सीडी की असलियत का पता लगाया था।

सूत्रों के मुताबिक इस स्टिंग आॅपरेशन को ही रावत सरकार को बर्खास्त कर उत्तराखंड में राष्टÑपति शासन लगाने का आधार बनाया गया। राजभवन और राज्य के गृह विभाग ने इस स्टिंग आॅपरेशन की सीबीआइ जांच की सिफारिश को अत्यंत गोपनीय रखा। सीबीआइ ने 25-26 दिन तक देहरादून में बड़े ही गोपनीय ढंग से इस मामले की जांच की। और इस 18 मिनट की सीडी को खंगाला। सीबीआइ की एक टीम ने पिछले चार दिनों तक देहरादून में डेरा डालकर सचिवालय में आला अफसरों से इस मामले में बातचीत कर कई तथ्य जुटाए।