कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी पार्टी के 25 सांसदों के निलंबन को लोकतंत्र के लिए काला दिवस करार दिया। कांग्रेस के ही एक अन्य नेता ने कहा कि संसद में गुजरात मॉडल अपनाया जा रहा है। गुजरात में भी विपक्ष के विधायकों के खिलाफ ऐसे कदम उठाये जाते हैं।
इस बीच भाजपा ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि वह ऐसा करने के लिए बाध्य हो गयीं क्योंकि लगातार चेताये जाने के बावजूद कांग्रेस सांसद बात नहीं सुन रहे थे और सदन का कामकाज चलाना संभव नहीं रह गया था।
सुमित्रा महाजन की कार्रवाई से आंदोलित सोनिया ने इसे लोकतंत्र का काला दिवस करार दिया। तृणमूल कांग्रेस, जदयू और आप सहित कई विपक्षी दलों ने निलंबित सदस्यों के साथ एकजुटता दर्शायी जबकि लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने निलंबन को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
खडगे ने यहां संवाददाताओं से कहा कि गुजरात में जिस तरह विपक्षी सदस्यों का निलंबन होता आया है, वही बात यहां (संसद में) हो रही है। गुजरात मॉडल लागू किया जा रहा है।
राकांपा नेता तारिक अनवर ने कहा कि ये कार्रवाई दर्शाती है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की आशंका सही थी कि आपातकाल लौट सकता है। राकांपा सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि 25 सांसदों का निलंबन उचित नहीं है।
सुमित्रा महाजन के फैसले का बचाव करते हुए भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि जनता की इच्छा के अनुरूप सदन का कामकाज सुचारू रूप से चलाने के लिए उचित फैसला करना लोकसभा अध्यक्ष का विशेषाधिकार है।
उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्य आसन द्वारा बार बार चेताये जाने के बावजूद नहीं सुन रहे थे। राजग के घटक तेदेपा ने कहा कि अध्यक्ष को बाध्य होकर ऐसा फैसला करना पड़ा क्योंकि उनके पास और कोई विकल्प नहीं था।