कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी की शनिवार को नेशनल हेराल्ड मामले में पटियाला हाउस कोर्ट में पेशी है। जरूरत पड़ी तो दोनों नेता जमानत मांगेंगे। खबर है कि पेशी से पहले कांग्रेस दफ्तर में दोपहर 12.30 बजे मीटिंग होगी। दूसरी ओर सोनिया गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की है कि पेशी के वक्त ड्रामा नहीं होना चाहिए। पहले यह खबर आई थी कि कांग्रेस के लोकसभा-राज्यसभा के 100 सांसद और चार सीएम पटियाला कोर्ट तक मार्च निकाल सकते हैं, लेकिन शुक्रवार रात सोनिया ने पार्टी नेताओं को निर्देश दिया, ‘सिर्फ मामले से जुड़े नेता ही कोर्ट जाएंगे। बाकी नेता पार्टी दफ्तर में ही रहेंगे। पेशी के दौरान किसी तरह का ड्रामा नहीं चाहिए।’
स्वामी ने लगाए हैं आरोप: भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया है कि दोनों ने कुछ लोगों के साथ मिल कर नेशनल हेराल्ड अखबार की पांच हजार करोड़ रुपए मूल्य की संपत्ति हथियाने के लिए घपला किया। आइए, समझें क्या है पूरा मामला
पृष्ठभूमि: पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1938 में ‘द नेशनल हेराल्ड अखबार’ की स्थापना की थी। इसे द असोसिएटेड जरनल्स लिमिटेड (एजेएल) नाम की कंपनी प्रकाशित करती थी। यह एक ‘सेक्शन-25’ कंपनी थी। इस तरह की कंपनियों को स्थापित करने का मकसद कला, साहित्य, विज्ञान, वाणिज्य आदि को प्रमोट करना होता है। आम तौर पर इस तरह की कंपनियों को बनाने का मकसद मुनाफा कमाना नहीं होता। असोसिएटेड जरनल्स लिमिटेड ने उर्दू में कौमी आवाज, जबकि हिंदी में नवजीवन अखबार प्रकाशित किया। कंपनी के पास दिल्ली और मुंबई समेत विभिन्न शहरों में रीयल एस्टेट संपत्तियां हैं। मुनाफा न होने के बावजूद यह कंपनी काफी वक्त तक घाटे में चलाई जाती रही। बाद में अप्रैल 2008 से इसने प्रकाशन बंद कर दिया।
कांग्रेस ने क्या किया: कांग्रेस ने एजेएल को चलाते रहने के लिए बिना ब्याज और सिक्युरिटी के कई साल तक उसे लोन दिया। ऐसा 2010 तक चलता रहा। मार्च 2009 के आखिर तक एजेएल को दिया गया अनसिक्योर्ड लोन 78.2 करोड़ रुपए का था और मार्च 2010 तक यह बढ़कर 89.67 करोड़ रुपए हो गया। माना जाता है कि कंपनी के पास रीयल एस्टेट से जुड़ी जो संपत्तियां हैं, उनकी वैल्यू इस कर्ज से कहीं ज्यादा है। इसके बावजूद, एजेएल कंपनी ने कांग्रेस से लिए गए लोन को चुकाने के लिए कोई खास कोशिश नहीं की। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मोतीलाल वोरा 22 मार्च 2002 से इस कंपनी के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। इससे ठीक पहले, वे ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष थे।
यंग इंडिया कंपनी का निर्माण: 23 नवंबर 2010 को यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड नाम की सेक्शन 25 कंपनी प्रकाश में आई। गांधी परिवार के वफादार सुमन दुबे और सैम पित्रोदा जैसे लोग इसके डायरेक्टर थे। 13 दिसंबर 2010 को राहुल गांधी को इस कंपनी का डायरेक्टर बनाया गया। 22 जनवरी 2011 को सोनिया भी यंग इंडिया के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल हुईं। वोरा और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य ऑस्कर फर्नांडीज भी उसी दिन यंग इंडियन के बोर्ड में शामिल किए गए। इस कंपनी के 38-38 फीसदी शेयरों पर राहुल और सोनिया की हिस्सेदारी है। बाकी के 24 पर्सेंट शेयर वोरा और फर्नांडीज के नाम हैं।
एजेएल, यंग इंडिया और कांग्रेस की डील: 2010 में कांग्रेस ने एजेएल के हिस्से के 90 करोड़ रुपए के कर्ज को यंग इंडियन पर डालने का फैसला किया। इस तरह से एजेएल के कागजों में यंग इंडियन उसके कर्ज की हिस्सेदार हो गई। वो कर्ज जो कांग्रेस ने ही दिया था। इसके ठीक बाद, दिसंबर 2010 में इस 90 करोड़ रुपए के कर्ज के बदले एजेएल ने अपनी पूरी कंपनी यंग इंडियन को देने का फैसला किया। यंग इंडियन ने इस अधिग्रहण के लिए 50 लाख रुपए चुकाए। इस पूरी डील की वजह से कांग्रेस से 90 करोड़ रुपए का कर्ज लेने वाली एजेएल पूरी तरह यंग इंडियन की सहायक कंपनी में तब्दील हो गई। यंग इंडियन, जिसपर राहुल गांधी, सोनिया गांधी, मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज का मालिकाना हक है।
क्या है विवाद: अदालत में यंग इंडियन द्वारा एजेएल के अधिग्रहण को चुनौती दी गई है। जो अहम सवाल उठे हैं, वे निम्नलिखित हैं
-सोनिया और राहुल की 76 पर्सेंट हिस्सेदारी वाली यंग इंडियन लिमिटेड कंपनी पर एजेएल के 90 करोड़ रुपए की देनदारी क्यों डाली गई? यंग इंडियन के शुरू होने के एक महीने बाद ही एजेएल उसकी सहायक कंपनी बन गई। यंग इंडियन एजेएल की पूरे भारत में स्थित संपत्ति की मालिक बन गई।
-एजेएल ने अपनी संपत्ति के कुछ हिस्से का इस्तेमाल करके कर्ज क्यों नहीं चुकाया? यह भी साफ नहीं है कि एजेएल ने यंग इंडियन कंपनी से अधिग्रहण के लिए अपने 1000 से ज्यादा शेयरधारकों की मंजूरी ली कि नहीं?
-क्या एजेएल की संपत्ति का आकलन ठीक ढंग से हुआ क्योंकि महज 90 करोड़ रुपए के कर्ज और 50 लाख रुपए के अतिरिक्त भुगतान पर पूरे भारत में मौजूद कंपनी की संपत्ति यंग इंडियन को सौंपने का फैसला कर दिया गया।
-कांग्रेस कमेटी में कोषाध्यक्ष, एजेएल में डायरेक्टर और यंग इंडियन में शेयरहोल्डर और डायरेक्टर का पद संभाल रहे मोतीलाल वोरा पर क्या हितों के टकराव का मामला बनता है?
-द रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट 1950 के मुताबिक, कोई राजनीतिक पार्टी किसी को लोन नहीं दे सकती। ऐसे में कांग्रेस ने एजेएल को लोन कैसे दिया?