केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का गुस्सा बढ़ रहा है और उन्होंने 29 नवंबर को संसद तक मार्च निकालने का फैसला किया है। मंगलवार को ये फैसला यूनाइटेड किसान मोर्चा की 9 सदस्यीय कमेटी ने किया है।

29 नवंबर को गाजीपुर बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर से किसान अपने ट्रैक्टरों पर संसद भवन के लिए निकलेंगे। इस दौरान जहां भी उन्हें रोका गया, वहां वे धरना प्रदर्शन करेंगे।

बता दें कि किसानों ने इससे पहले चेतावनी दी थी कि अगर सरकार ने 26 नवंबर तक विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया तो वे अपना विरोध प्रदर्शन तेज करेंगे।

किसान नेता राकेश टिकैत ने 1 नवंबर को ट्वीट किया था कि केंद्र सरकार के पास 26 नवंबर तक का समय है, उसके बाद 27 नवंबर से किसान अपने गांवों से ट्रैक्टर लेकर दिल्ली के आसपास के विरोध स्थलों पर पहुंचेंगे और हमारे विरोध को मजबूत करेंगे।

उन्होंने कहा था कि किसानों ने 22 जनवरी को अपनी आखिरी बातचीत के दौरान सरकार को 26 नवंबर तक का समय दिया था।

इस दौरान जब टिकैत से ये पूछा गया था कि ये विरोध कब तक चलेगा, तो उन्होंने कहा कि जब सरकार 5 साल तक चल सकती है तो विरोध प्रदर्शन भी 5 साल तक चल सकता है।

बता दें कि किसानों ने अपना आखिरी विरोध प्रदर्शन जुलाई में संसद के पास ही किया था, उस दौरान संसद का मानसून सत्र चल रहा था, इसलिए पुलिस ने कहा था कि विरोध करें लेकिन मार्च ना करें।

इस दौरान धरने पर 200 से ज्यादा किसान मौजूद थे। कई सांसदों ने किसान संसद का दौरा भी किया था, लेकिन उन्होंने ना ही मंच पर कदम रखा और ना ही कोई भाषण दिया।

वहीं इस साल गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में अफरा-तफरी मच गई थी, क्योंकि किसानों की ट्रैक्टर रैली तय रास्ते से हटकर लाल किले पर पहुंच गई थी।

इस दौरान किसानों ने किले में जाकर एक धार्मिक ध्वज फहरा दिया था। पुलिस के लाठीचार्ज के बाद इन किसानों पर काबू पाया जा सका था।

लाल किले के रास्ते में एक प्रदर्शनकारी की मौत भी हो गई थी, जिसे पुलिस ने दुर्घटना बताया। वहीं टिकैत ने बताया था कि देशभर में विरोध प्रदर्शनों के दौरान लगभग 750 किसान मारे गए।

बता दें कि किसान पिछले साल 26 नवंबर से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।