सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवने ने बुधवार को कहा कि भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं किया है लेकिन डी-एस्केलेशन अभी तक नहीं हुआ है। साथ ही उन्होंने कहा कि डिसइंगेजमेंट का मतलब सेना पीछे हटाना नहीं होता है। भारत, चीन की सीमा पर अपने सैनिकों को तैनात रखेगा। भारत के पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में लगभग 50,000-60,000 सैनिक अभी हैं।

CNN News18 के साथ एक साक्षात्कार में नरवणे ने इस बात से इनकार किया कि चीन के साथ बातचीत टूट गयी है। फरवरी के बाद से एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के साथ स्थिति बहुत सौहार्दपूर्ण रही है। दोनों पक्ष डिसइंगेजमेंट पर काम कर रहे हैं। किसी भी तरह का कोई उल्लंघन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि बातचीत जारी है और 9 अप्रैल को कोर कमांडरों की बैठक हुई थी।

चीनी सेना के अभ्यास को लेकर सेना प्रमुख ने कहा कि प्रशिक्षण क्षेत्रों में हमने कुछ मूवमेंट देखा है। यह वार्षिक अभ्यास है। एलएसी पर हमारे बल हमेशा तैनात हैं वो किसी भी कार्रवाई और गतिविधियों से निपटने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण ये है कि हम बात कर रहे हैं। मुझे लगता है कि दोनों ही देशों के बीच अब विश्वास बना है।

भारत और चीन की तरफ से बॉर्डर क्षेत्र में जारी निर्माण कार्य पर सेना प्रमुख ने कहा कि जिस क्षेत्र में सेना की तैनाती होती है वहां बुनियादी ढांचे को मजबूत करना ही होता है। भारत और चीन दोनों ही तरफ से बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है।

सेना प्रमुख ने कहा कि सीमा पर तैनात हमारे एक भी जवान कोरोना संक्रमित नहीं हुए हैं। क्योंकि बाहर से जो भी जवान सीमा पर पहुंचे हैं उन्हें तीन चरणों में जांच के बाद तैनात किया गया है। हमारे जवान पाकिस्तान और चीन से लगने वाली सीमाओं पर पूरी मुस्तैदी के साथ डटे हुए हैं।