सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ अपनी साफगोई के लिए जाने जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट में ये बात फिर से देखने को मिली। सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी चाहते थे कि सुप्रीम कोर्ट आर्टिकल 370 से पहले दिल्ली आर्डिनेंस से जुड़े मामले की सुनवाई करे। उन्होंने अपनी बात मनवाने के लिए पूरा जोर लगाया। सीजेआई के सामने तमाम तरह की दलीले रखीं। लेकिन सीजेआई पर कोई असर नहीं पड़ा। वो बोले- सॉरी मैं फैसला ले चुका हूं।
सिंघवी बोले- नौकरशाह नहीं सुन रहे सरकार की बात
सिंघवी ने सीजेआई कहा कि अगर वो आर्टिकल 370 की सुनवाई को कुछ दिन के लिए टाल दें तो सामने वाले वकील को भी कोई एतराज नहीं होगा। उनका इशारा था कि केंद्र खुद नहीं चाहते कि इस मसले की सुनवाई जल्दी हो। वो बोले कि दिल्ली आर्डिनेंस पर देरी से सुनवाई का मतलब है कि पूरी दिल्ली को लकवाग्रस्त होने दिया जाए। वो बोले कि कोई भी नौकरशाह सरकार का आदेश नहीं मान रहा है। 437 कंसलटेंट हटाए जा चुके हैं। वो मान रहे हैं कि आर्डिनेंस दुरुस्त है। उनका कहना था कि ये कंसलटेंट दिल्ली सरकार ने लगाए थे। एलजी इनको कैसे हटा सकते हैं।
सीजेआई ने कहा- 370 पर हम डेट दे चुके हैं, पीछे नहीं हट सकते
सीजेआई ने उनको करारा जवाब देते हुए कहा कि सॉरी डॉ. सिंघवी। आर्टिकल 370 पर सुनवाई के लिए मैं डेट दे चुका हूं। वकील केस को लेकर तैयारी में जुटे हैं। ऐसे में सुनवाई को आगे बढ़ाना गलत होगा। सीजेआई के तेवर इस कदर तल्ख थे कि वो बोले- हम कह चुके हैं कि आर्टिकल 370 को सुनने जा रहे हैं। अगर हम अब कहे कि इस केस को नहीं सुनेंगे तो इसका बहुत गलत संदेश जाएगा। हम ऐसा नहीं करने जा रहे।
ध्यान रहे कि आर्टिकल 370 के जरिये जम्मू कश्मीर को स्पेशल दर्जा दिया गया था। लेकिन 2019 में केंद्र ने इसे खत्म कर दिया। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में ये मामला गया। हालांकि सुनवाई नहीं हो सकी। फिलहाल सीजेआई ने इस केस को सुनवाई के लिए लिस्ट किया है। लेकिन इसी बीच में दिल्ली का विवाद सामने आ गया। नौकरशाहों की ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बेअसर करने के लिए केंद्र दिल्ली आर्डिनेंस को लेकर आ गया। ये मामला संवैधानिक बेंच के पास भेजा गया है। सिंघवी चाहते थे कि इसकी सुनवाई 370 से पहले की जाए।