असम और पूरे पूर्वोत्तर इलाके को भारत से काटने की बात करने वाले शरजील इमाम को गिरफ्तार कर लिया गया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के एक लेख में शरजील इमाम और उसके बयान की तीखी आलोचना की है। सामना में लिखा गया है कि ‘शरजील इमाम के हाथ उखाड़कर उसे चिकननेक हाईवे पर टांग देना चाहिए।’
लेख में लिखा गया है कि सीएए के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों के दौरान किसी ने भी देश विरोधी वक्तव्य नहीं दिया था, लेकिन शरजील के बयान से देश में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों की बदनामी हुई है। लेख में लिखा गया है कि शरजील इमाम ने अपने बयान से देश के मुस्लिम समाज का सिर कलम कर दिया है।
सामना के लेख के अनुसार, ‘पूर्वोत्तर राज्यों को भारत से जोड़ने वाला 22 किलोमीटर का हाईवे ‘चिकन नेक’ कहलाता है। इस चिकन नेक की गर्दन काटने के सपने देखने वाले शरजील इमाम के हाथ उखाड़कर चिकन नेक महामार्ग पर टांगना चाहिए।’
बता दें कि शरजील इमाम ने संशोधित नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान दिए अपने एक बयान में कहा था कि ‘यदि 5 लाख लोग संगठित हो जाएं तो हम असम और पूर्वोतर के इलाकों को भारत से काट सकते हैं। यदि परमानेंट नहीं तो एक दो महीने के लिए काट ही सकते हैं। शरजील ने कहा था कि हम रेल की पटरियों पर मलबा डालकर और सड़क पर चक्का जाम कर ऐसा कर सकते हैं।’
सामना के लेख में लिखा गया है कि ‘दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार जारी है। ऐसे में शरजील के बयान के कारण भाजपा को बैठे-बिठाए प्रचार का मुद्दा मिल गया है। शरजील का बयान अलगाववादी और देशद्रोही है।’
लेख में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के हालिया बयान का समर्थन किया गया है, जिसमें अमित शाह ने शरजील के शब्दों को कन्हैया कुमार के शब्दों से भी खतरनाक करार दिया था। लेख के अनुसार, बीते 5 वर्षों से देश को तोड़ने की बातें क्यों बढ़ रही हैं और ऐसा बोलने वालों में पढ़े-लिखे नौजवानों की संख्या ज्यादा क्यों है? यह शोध का विषय है।
शिवसेना का कहना है कि अलगाववादियों द्वारा देश के युवाओं को आतंकी बनाने का प्रयास किया जा रहा है। देश की सामाजिक और धार्मिक एकता लगभग समाप्त हो गई है। देश में हिंदू-मुसलमानों में कलह बढ़ाने और देश को अराजकता में धकेलने के प्रयास हो रहे हैं। जिसे खाद-पानी देने का धंधा ‘राजनीतिक प्रयोगशाला’ में चल रहा है।
शिवसेना का कहना है कि एक शरजील पकड़ा है, दूसरा शरजील नहीं बनने पाए, यह सरकार की जिम्मेदारी है।