पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगातार मोर्चा खोले रखने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा आम चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उन्होंने पार्टी के टिकट पर पटना से कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि, पटना की जनता ने उन्हें इस बार मौका नहीं दिया और उन्हें रविशंकर प्रसाद के हाथों कड़ी शिकस्त झेलनी पड़ी।

इस साल 23 मई को आए नतीजों के बाद करीब दो महीने तक शत्रुघ्न सिन्हा दिल्ली में सार्वजनिक कार्यक्रमों में नजर नहीं आए। हालांकि, हाल ही में वह बीजेपी के एक अन्य बागी नेता यशवंत सिन्हा की किताब के विमोचन के मौके पर पहुंचे थे। बता दें कि चुनावी हार के बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने निजी तौर पर मिलकर रविशंकर प्रसाद को उनकी जीत के लिए बधाई नहीं दी। सिन्हा ने ट्वीट करके बधाई दी थी। उन्होंने मोदी को दोस्त, प्रसाद को फैमिली फ्रेंड और अमित शाह को कुशल रणनीतिकार भी करार दिया था।

दिलचस्प बात है कि एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने के बावजूद सिन्हा या प्रसाद ने अपने अभियान के दौरान कभी भी एक दूसरे का नाम नहीं लिया। रविशंकर प्रसाद पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे। रविशंकर प्रसाद और उनकी पत्नी माया सुबह 6 बजे चुनाव प्रचार के लिए निकल जाते थे। वहीं, दो बार के लोकसभा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा दोपहर बाद लंच के बाद मौर्य होटल से चुनाव प्रचार के लिए निकलते थे।

2014 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले सिन्हा को मोदी सरकार में जगह नहीं मिली थी। इसके बाद से उनका पार्टी नेतृत्व से लगातार टकराव चल रहा है। वह सार्वजनिक रूप से पार्टी नेतृत्व, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की खुलकर आलोचना करते रहे थे। इसके अलावा, वह आरजेडी प्रमुख लालू यादव और बीजेपी के कई राजनीतिक विरोधियों से सार्वजनिक तौर पर भी मिलते रहे थे।
(जनसत्ता ऑनलाइन इनपुट्स के साथ)