Congress President Election: कांग्रेस ने रविवार (28 अगस्त) को ऐलान किया कि 17 अक्टूबर 2022 को पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव होगा। वहीं 19 अक्टूबर को मतगणना होगी। पार्टी वर्किंग कमेटी की मीटिंग में फैसला लिया गया कि 22 सितंबर को चुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी होगा और नॉमिनेशन 24 सितंबर तक हो सकता है। पार्टी नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इस पद के लिए कोई भी चुनाव लड़ सकता है। वहीं, कांग्रेस नेता शशि थरूर का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष का चुनाव पारदर्शी होना चाहिए।
लोकसभा सांसद शशि थरूर का मानना है कि अब तक के सबसे खराब चुनावी और संगठनात्मक संकट का सामना कर रही कांग्रेस के लिए यह नए विचारों और दृष्टिकोण को सामने लाने का समय है। इससे पहले थरूर ने अगस्त 2020 में 23 नेताओं के हस्ताक्षर सहित एक पत्र कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को देकर पार्टी के कामकाज में बदलाव की मांग की थी।
कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की दिशा में शुरुआत: शशि थरूर ने सोमवार को मातृभूमि में लिखा, “आदर्श रूप से पार्टी को सीडब्ल्यूसी की दर्जन भर सीटों के लिए भी चुनाव की घोषणा करनी चाहिए थी, जो निर्वाचित होने वाली हैं। साथ ही एआईसीसी और पीसीसी के सदस्यों को यह निर्धारित करने की अनुमति भी मिलनी चाहिए कि इन प्रमुख पदों पर पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा।” उन्होंने आगे लिखा, “इससे आने वाले नेताओं को पार्टी का नेतृत्व करने के लिए एक विश्वसनीय जनादेश देने में मदद मिलेगी। एक नए अध्यक्ष का चुनाव करना कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक शुरुआत है।”
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव जरूरी: राहुल गांधी के चुनाव लड़ने से इनकार करने और गांधी परिवार के किसी भी सदस्य को उनकी जगह नहीं लेने के उनके बयान से कई कांग्रेस समर्थक निराश हो गए हैं। इस पर थरूर ने कहा, “यह वास्तव में गांधी परिवार को तय करना है कि वे इस मुद्दे पर सामूहिक रूप से कहां खड़े हैं, लेकिन लोकतंत्र में किसी भी दल को यह विश्वास करने की स्थिति में नहीं होना चाहिए कि केवल एक परिवार ही उसका नेतृत्व कर सकता है।”
उन्होंने लिखा, “एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक स्वस्थ तरीका होगा। यह आने वाले अध्यक्ष को दिए जा रहे जनादेश को वैध करेगा।”
सूत्रों के मुताबिक, थरूर का मानना है कि एक लोकतांत्रिक चुनाव से जीवंतता आएगी और पार्टी सुधारों पर एक स्वस्थ चर्चा शुरू कर सकती है। जिसके अंतर्गत सत्ता और अधिकार के विकेंद्रीकरण का प्रस्ताव, राज्य इकाइयों को पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में स्वतंत्रता रखना और राष्ट्रीय स्तर पर एक लोकतांत्रिक और सामूहिक निर्णय लेने की प्रक्रिया की शुरुआत करना शामिल हैं। साथ ही इन सुधारों में पार्लियामेंट्री बोर्ड का पुनरुद्धार और सीडब्ल्यूसी के चुनाव भी शामिल हैं।