Shashi Tharoor News: मिस्र में गाजा शांति सम्मेलन आयोजित किया गया है। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत दुनियाभर के 20 देशों के नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है। भारत का प्रतिनिधित्व विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह कर रहे हैं। पीएम मोदी को भी आमंत्रित किया गया है। उनके न जाने को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि उच्च स्तरीय भागेदारी न होने के चलते भारत की आवाज दब सकती है।

बता दें कि इस कार्यक्रम में फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से लेकर ब्रिटेन के पीएम कीर स्टारमर भी इसमें शामिल होंगे। ट्रंप इस युद्ध की समाप्ति का क्रेडिट ले रहे हैं। इस दौरे में ही इजरायल ने ट्रंप को इजरायल का सर्वोच्च सम्मान भी दिया है। पीएम मोदी का इस कार्यक्रम में न जाना शशि थरूर का रास नहीं आ रहा है। इसके चलते उन्होंने केंद्र सरकार की विदेश नीति पर प्रश्न चिन्ह लगाए हैं।

आज की बड़ी खबरें

शशि थरूर ने क्या पूछा?

शशि थरूर ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण दिया गया था, लेकिन इस कार्यक्रम में शामिल न होने का उनका निर्णय अन्य विश्व नेताओं के मिस्र की यात्रा करने के निर्णय से बिल्कुल विपरीत है।” उन्होंने पूछा, “रणनीतिक संयम या चूका हुआ अवसर?” उन्होंने स्वीकार किया कि भारत के पड़ोस में सुरक्षा शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री को न बुलाने के निर्णय से वे ‘हैरान’ हैं।

पीएम मोदी ने इजरायली बंधकों की रिहाई का किया स्वागत, ट्रंप की तारीफ में कही ये बात

कीर्ति वर्धन सिंह पर कही ये बात

पूर्व विदेश मंत्री थरूर ने कहा कि यह कीर्ति वर्धन सिंह पर कोई टिप्पणी नहीं है, जिनकी योग्यता पर कोई सवाल नहीं है लेकिन, वहां मौजूद दिग्गजों की भीड़ को देखते हुए, भारत के फैसले को उस रणनीतिक दूरी को प्राथमिकता देने के संकेत के रूप में देखा जा सकता है, जो हमारे बयानों में नहीं दिखती।

गाजा के हमास-संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार तब से अब तक इज़राइली सैन्य अभियानों में 66,000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं। गाजा मुख्यतः भोजन और दवाओं की कमी के कारण एक बड़े मानवीय संकट से जूझ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पिछले महीने कहा था कि गाजा में कुपोषण की दर “खतरनाक स्तर” पर पहुंच गई है।