Maharashtra Politics : महाराष्ट्र की सियासत में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) चर्चा का विषय बनी हुई है, वजह है पार्टी चीफ शरद पवार का इस्तीफा..शरद पवार ने मंगलवार (2 मई) को घोषणा की थी कि वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहे हैं, इसके बाद पूरी पार्टी सकते में आ गयी, बुधवार और गुरुवार को गहमा-गहमी का दौर चला..शुक्रवार (5 मई) को पवार के “उत्तराधिकारी” का फैसला करने के लिए एक पार्टी पैनल की बैठक हुई और फैसला हुआ कि इस्तीफा नामंजूर किया जाता है, इसके बाद शरद पवार ने फैसला किया कि वह पार्टी के अध्यक्ष बने रहेंगे।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि शरद पवार का इस्तीफा एक बेहतरीन सियासी चाल थी, तीन दिन तक चले इस सियासी घटनाक्रम के बाद 82 वर्षीय एनसीपी चीफ ने दिखा दिया कि वह राजनीति में 50 से अधिक सालों से क्यों बरकरार हैं..इसे उनके भतीजे अजीत पवार के पार्टी के भीतर जारी आंतरिक विद्रोह से जोड़ कर देखा जा रहा है और कहा जा रहा है कि शरद पवार ने उनके लिए रास्ता अब और मुश्किल बना दिया है, जबकि शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले की के लिए रास्ता अब काफी साफ दिखाई देता है। शरद पवार के इस मूव ने उनके विरोधियों को दिखा दिया है कि एनसीपी का असल बॉस कौन है।

सियासत में अजीत पवार अपना चाचा शरद पवार के सामने कई बार मजबूर दिखाई दिए हैं और आने वाले समय में भी बहुत ज़्यादा विधायक उन्हें समर्थन देते नहीं दिखाई दे रहे हैं..वहीं शरद पवार के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता काफी लोयल दिखाई देते हैं।

इस सियासी घटनाक्रम पर क्या कहते हैं एनसीपी नेता?

शरद पवार आसानी से भावनाओं में बह जाने वाले व्यक्ति नहीं हैं ,बल्कि इसके विपरीत स्पष्ट रूप से उन्हें पता था कि जब उन्होंने अचानक इस्तीफे की घोषणा की तो यह स्क्रिप्ट कैसे काम करेगी? राकांपा के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा, “राकांपा के भीतर जारी गहमा-गहमी और बगावत की हवा को शांत करने के लिए पवार ने यह इस्तीफा दिया था”, शरद पवार की बड़ी चिंता अजित पवार की संगठन पर नियंत्रण रखने की महत्वाकांक्षा भी कही जा रही है।

शुक्रवार (5 मई) को प्रेस कॉन्फ्रेंस में शरद पवार ने न केवल इस बात पर जोर दिया कि राकांपा के नेता नहीं चाहते थे कि वह चले जाएं, उन्होंने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि राहुल गांधी और सीताराम येचुरी जैसे अन्य दलों के नेताओं ने उन्हें रहने के लिए कहा था।